Meta पर लगा अब तक का सबसे संगीन आरोप, AI को सिखाने के लिए पाइरेटेड किताबों और पोर्न का इस्तेमाल?
News India Live, Digital Desk: सोशल मीडिया की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी Meta (फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप की मालिक) एक बार फिर एक बड़े विवाद में घिर गई है। इस बार मामला आपकी फोटो या डेटा लीक का नहीं, बल्कि और भी ज़्यादा गंभीर है। कंपनी पर यह आरोप लगा है कि उसने अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल 'Llama' को ट्रेनिंग देने के लिए बड़े पैमाने पर पाइरेटेड यानी चोरी की हुई किताबों और शायद पोर्नोग्राफिक कंटेंट का भी इस्तेमाल किया है।
यह सनसनीखेज़ खुलासा लेखिका और कॉमेडियन सारा सिल्वरमैन सहित कई अन्य लेखकों द्वारा दायर किए गए एक मुक़दमे में हुआ है, जिसके बाद से पूरी टेक्नोलॉजी की दुनिया में हलचल मच गई है।
क्या है पूरा मामला?
मेटा ने हाल ही में ChatGPT की टक्कर में अपना AI मॉडल 'Llama' लॉन्च किया था। किसी भी AI को 'स्मार्ट' बनाने के लिए उसे बहुत बड़ी मात्रा में डेटा पढ़ाया-सिखाया जाता है। यह डेटा इंटरनेट पर मौजूद वेबसाइट, आर्टिकल, किताबों और तस्वीरों से आता है।
आरोप यह है कि मेटा ने अपने AI को सिखाने के लिए एक बहुत बड़े डेटासेट का इस्तेमाल किया, जिसमें लाखों ऐसी किताबें थीं जिन्हें बिना लेखकों की अनुमति के अवैध रूप से डाउनलोड किया गया था। लेखकों का कहना है कि मेटा ने उनकी मेहनत और उनकी लिखी किताबों का इस्तेमाल अपने AI को 'बुद्धिमान' बनाने के लिए किया और इसके लिए उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं दिया। यह सीधे-सीधे कॉपीराइट क़ानून का उल्लंघन है।
आरोप सिर्फ़ किताबों तक सीमित नहीं
मामला सिर्फ़ किताबों की चोरी तक ही नहीं रुका है। मुक़दमे में इस्तेमाल हुए एक डेटासेट 'The Pile' को लेकर और भी चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। 'The Pile' नाम के इस विशाल डेटासेट के एक हिस्से में कथित तौर पर पोर्नोग्राफिक कंटेंट भी शामिल था, जिसे अवैध वेबसाइटों से लिया गया था। हालांकि यह अभी तक साफ़ नहीं है कि क्या इस हिस्से का इस्तेमाल Llama की ट्रेनिंग में हुआ है, लेकिन इसने Meta की डेटा इस्तेमाल करने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
Meta ने क्या दी सफ़ाई?
इन गंभीर आरोपों पर Meta ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कंपनी का कहना है कि वे लेखकों और क्रिएटर्स की मेहनत का सम्मान करते हैं और उन्होंने AI की ट्रेनिंग के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध और लाइसेंस वाले डेटा का ही इस्तेमाल किया है। Meta ने कॉपीराइट उल्लंघन के आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कहा है कि AI को सिखाने के लिए पब्लिक डेटा का इस्तेमाल 'फेयर यूज़' यानी उचित उपयोग के दायरे में आता है। कंपनी का यह भी कहना है कि इस मुक़दमे से नई टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर बुरा असर पड़ेगा।
यह मामला अब कोर्ट में है, और इसका जो भी फ़ैसला आएगा, वह भविष्य में AI के विकास और डेटा के इस्तेमाल को लेकर एक नया क़ानून तय करेगा। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बड़ी टेक कंपनियाँ AI बनाने की होड़ में नैतिकता और क़ानून की सीमाओं को लांघ रही हैं?
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