सरकार ने बैन कीं बेटिंग ऐप्स, पर क्या गली-गली में चल रहा है ये 'चोर-पुलिस' का खेल?
Betting-App Ban Effect: "घर बैठे करोड़पति बनें," "बस एक टीम बनाओ और लाखों जीतो"... ऐसे लुभावने विज्ञापनों से भरे ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स ने पिछले कुछ सालों में देश के युवाओं को अपने जाल में बुरी तरह फंसाया है। इन ऐप्स ने न सिर्फ हजारों परिवारों को बर्बादी की कगार पर पहुँचाया, बल्कि ये देश की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन गए थे। इसी को देखते हुए, भारत सरकार ने 'महादेव ऐप' जैसे सैकड़ों बेटिंग और गेमिंग ऐप्स पर बैन लगाकर एक बड़ा कदम उठाया।
लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बैन वाकई काम कर रहा है? या फिर यह सिर्फ एक 'चोर-पुलिस' का खेल बनकर रह गया है, जहाँ सरकार ताला लगाती है और ये कंपनियां दूसरे दरवाज़े से फिर घुस आती हैं? चलिए, इस कहानी के दोनों पहलुओं को समझते हैं।
यह बैन ज़रूरी क्यों था? (फायदे)
सरकार का यह फैसला सिर्फ लोगों को जुए की लत से बचाने के लिए नहीं था, इसके पीछे कहीं ज़्यादा गहरे और गंभीर कारण थे:
- मनी लॉन्ड्रिंग का अड्डा: ये ऐप्स मनी लॉन्ड्रिंग का सबसे बड़ा ज़रिया बन गए थे। आसान भाषा में कहें तो, इनके ज़रिए करोड़ों रुपये का काला धन गैर-कानूनी तरीके से हवाला के रास्ते देश के बाहर, खासकर दुबई और दूसरे देशों में भेजा जा रहा था। यह देश की अर्थव्यवस्था पर एक सीधा हमला था।
- टैक्स की भारी चोरी: इन ऐप्स से होने वाली हज़ारों करोड़ की कमाई पर सरकार को एक रुपये का भी टैक्स नहीं मिल रहा था। यह पैसा सीधा देश को चूना लगा रहा था।
- युवाओं की बर्बादी: इन ऐप्स की वजह से न जाने कितने युवा और छात्र कर्ज के जाल में फंस गए। घर के गहने, ज़मीन-जायदाद बेचकर लोग इन पर पैसा लगा रहे थे और हारने पर गलत कदम उठा रहे थे।
इस बैन से इन गैर-कानूनी गतिविधियों पर एक बड़ी चोट लगी है और लोगों को एक सीधा संदेश गया है कि सरकार अब इन चीज़ों को बर्दाश्त नहीं करेगी।
तो फिर चिंता की बात क्या है? (चुनौतियां)
लेकिन कहानी का दूसरा पहलू भी है, जो थोड़ी चिंता पैदा करता है। बैन लगाना एक बात है, और उसे ज़मीन पर पूरी तरह से लागू करना बिल्कुल दूसरी।
- 'एक बंद, सौ चालू': सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जैसे ही सरकार एक वेबसाइट या ऐप को बैन करती है, ये कंपनियां तुरंत एक नया नाम या नया डोमेन (जैसे .com की जगह .in या .net) लेकर वापस आ जाती हैं।
- सोशल मीडिया का इस्तेमाल: ये अब भी इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप्स के ज़रिए युवाओं तक पहुंच रही हैं। नए-नए इन्फ्लुएंसर इन्हें प्रमोट कर रहे हैं, जिससे लोग फिर से इनके जाल में फंस रहे हैं।
- टेक्नोलॉजी का तोड़ मुश्किल: इन ऐप्स के सर्वर विदेश में होते हैं, जिससे इन पर पूरी तरह से लगाम कसना भारतीय एजेंसियों के लिए एक बहुत बड़ी तकनीकी चुनौती है।
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