UGC और AICTE का दौर हुआ खत्म? मोदी सरकार ने दी वन नेशन, वन रेगुलेटर को हरी झंडी
News India Live, Digital Desk : अगर आप कॉलेज स्टूडेंट हैं या शिक्षा जगत से जुड़े हैं, तो आपने अक्सर UGC (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन), AICTE (इंजीनियरिंग के लिए) और NCTE (टीचर्स के लिए) जैसे नाम जरूर सुने होंगे। अक्सर छात्रों और खुद कॉलेजों के मन में भी उलझन रहती है कि किसके नियम मानें और किसके छोड़ें। कभी सिलेबस को लेकर टेंशन, तो कभी मान्यता को लेकर भागदौड़।
लेकिन अब ये सारी माथापच्ची खत्म होने वाली है। हाल ही में केंद्र सरकार (Union Cabinet) ने एक बहुत बड़े बिल को मंजूरी दी है, जो भारत में उच्च शिक्षा (Higher Education) का चेहरा बदल कर रख देगा।
आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि सरकार क्या नया करने जा रही है और इसका आप पर क्या असर होगा।
एक देश, एक रेगुलेटर (Single Regulator Policy)
सीधी बात यह है कि सरकार अब UGC, AICTE और NCTE जैसी अलग-अलग संस्थाओं की जगह एक 'सिंगल रेगुलेटर' यानी एक ही बड़ी संस्था बनाना चाहती है। इसे भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India - HECI) जैसा कुछ नाम दिया जा सकता है (हालांकि आधिकारिक नाम बिल पास होने पर साफ़ होगा)।
इसका मतलब यह है कि मेडिकल और लॉ (Law) की पढ़ाई को छोड़कर, बाकी सारी हायर एजुकेशन चाहे वो इंजीनियरिंग हो, आर्ट्स हो, मैनेजमेंट हो या साइंस सब एक ही छत के नीचे आ जाएंगे।
छात्रों और कॉलेजों को क्या फायदा होगा?
आप सोच रहे होंगे कि "नाम बदलने से मुझे क्या फर्क पड़ेगा?" फर्क बहुत गहरा है:
- कम कागजी कार्यवाही: अभी कोई कॉलेज खोलना हो या नया कोर्स शुरू करना हो, तो फाइलें यहाँ से वहां घूमती रहती हैं। सिंगल विंडो होने से फैसले जल्दी होंगे।
- समान नियम (Standard Quality): अभी तक प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों के मानकों में काफी अंतर रहता था। नए सिस्टम में कोशिश होगी कि शिक्षा की क्वालिटी (Quality) हर जगह एक जैसी हो।
- लचीली पढ़ाई (Flexibility): यह फैसला नई शिक्षा नीति (NEP 2020) का ही एक हिस्सा है। इसका मकसद है कि आर्ट्स का छात्र भी कोडिंग सीख सके और साइंस वाला म्यूजिक। पुरानी दीवारों को तोड़ने के लिए ही यह बदलाव किया जा रहा है।
- 'इंस्पेक्टर राज' का खात्मा: पहले कॉलेजों में इंस्पेक्शन का बहुत डर रहता था। नए सिस्टम में फोकस "चेकिंग" से ज्यादा "फैसिलिटी देने" और "मॉनिटरिंग" पर होगा। सब कुछ डिजिटल और पारदर्शी (Transparent) बनाने की योजना है।
अब आगे क्या होगा?
कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद, पुराने एक्ट (UGC एक्ट, AICTE एक्ट आदि) खत्म हो जाएंगे और नई व्यवस्था लागू हो जाएगी।
यह भारत के एजुकेशन सिस्टम को ग्लोबल लेवल पर ले जाने की एक बड़ी कोशिश है। अगर यह सही तरीके से लागू हुआ, तो हमारे पढ़ने और डिग्री लेने का तरीका पहले से कहीं ज्यादा स्मूथ और आधुनिक हो जाएगा।
यह बदलाव थोड़ा बड़ा है, इसलिए इसे लागू होने में वक्त लग सकता है, लेकिन यह तय है कि शिक्षा जगत अब पुराने ढर्रे पर नहीं चलेगा।
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