डॉक्टर बनने के सपने की भारी कीमत 21 लाख डूबे और हाथ लगी सिर्फ़ निराशा, तरीका जानकर उड़ जाएंगे होश
News India Live, Digital Desk: हमारे देश में डॉक्टर बनने का सपना देखना बहुत आम बात है। लाखों बच्चे हर साल दिन-रात मेहनत करके NEET की तैयारी करते हैं। लेकिन इसी सपने और मजबूरी का फायदा उठाने के लिए कुछ 'गिद्ध' भी बैठे हैं। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने एडमिशन प्रक्रिया की सुरक्षा और अभिभावकों की समझदारी दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जरा सोचिए, एक परिवार ने अपने बच्चे को डॉक्टर बनाने के लिए अपनी जमा-पूंजी (करीब 21 लाख रुपये) लगा दी, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला? सिर्फ धोखा।
ठगी का अनोखा और हैरान करने वाला तरीका
अक्सर हम सुनते हैं कि किसी ने पैसे लेकर सीट दिलाने का वादा किया और फोन बंद कर लिया। लेकिन यह मामला थोड़ा अलग और ज्यादा शातिराना है। ठगों की हिम्मत तो देखिये, उन्होंने न सिर्फ छात्र और उसके पिता को भरोसे में लिया, बल्कि उन्हें एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज (Medical College) भी ले गए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जालसाजों ने एक "नकली चाबी" (Fake Key) का इस्तेमाल किया। वे लोग छात्र के पिता को कॉलेज कैंपस में ले गए और वहां किसी स्टाफ रूम या ऑफिस का ताला अपनी चाबी से खोल दिया। इससे पीड़ित परिवार को लगा कि ये लोग कॉलेज के ही असली अधिकारी या रसूखदार लोग हैं। यही वो पल था जब उनका भरोसा पक्का हो गया और उन्होंने 21 लाख रुपये थमा दिए।
सपना टूटा जब सच सामने आया
पैसे देने के बाद जब एडमिशन की असली लिस्ट आई या जब वे दोबारा कॉलेज पहुंचे, तब जाकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। पता चला कि न तो उन लोगों का कॉलेज से कोई लेना-देना था और न ही कोई सीट आरक्षित हुई थी। वो 'चाबी' और वो 'रौब' सब एक नाटक का हिस्सा था।
अभिभावकों के लिए ज़रूरी सबक
दोस्तों, यह घटना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक बड़ी चेतावनी है। NEET में अगर कम नंबर आएं तो हताश होकर 'शॉर्टकट' मत तलाशिये।
- सिर्फ काउंसलिंग पर भरोसा करें: याद रखिये, भारत में MBBS की एक-एक सीट सिर्फ और सिर्फ मेरिट और केंद्रीय/राज्य काउंसलिंग (MCC/State Counselling) के जरिए भरी जाती है।
- कोई 'मैनेजमेंट कोटा' ऐसे नहीं मिलता: अगर कोई आपको चुपके से, कॉलेज के पीछे वाले दरवाजे से या किसी दलाल के जरिए सीट दिलाने का वादा कर रहा है, तो समझ जाइये कि 100% धोखा होने वाला है।
- कैंपस में मीटिंग का मतलब गारंटी नहीं: ठग इतने शातिर हो गए हैं कि वे कॉलेज के बाहर या अंदर भी आपसे मिल सकते हैं, जैसा इस केस में हुआ।
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