The biggest news for the employed: 4 दिन कार्यसप्ताह से बढ़ेगी प्रोडक्टिविटी कंपनी को भी मिलेगा फायदा

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News India Live, Digital Desk: The biggest news for the employed: दुनिया भर में 'फोर-डे वर्कवीक' यानी सप्ताह में सिर्फ चार दिन काम करने का विचार तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह कॉन्सेप्ट सिर्फ कर्मचारियों को ही राहत नहीं दे रहा, बल्कि एक नई स्टडी के मुताबिक, यह कंपनियों के लिए भी बड़े फायदे लेकर आ रहा है। यह अध्ययन बताता है कि अगर कर्मचारियों को उतनी ही सैलरी के साथ सप्ताह में तीन दिन का लंबा वीकेंड मिले, तो उनकी प्रोडक्टिविटी में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है और इससे कंपनियों को भी कई तरह से लाभ मिलता है।

यह धारणा कि ज्यादा काम करने से ज्यादा उत्पादन होता है, अब बदल रही है। नई रिसर्च से पता चला है कि कर्मचारियों को मिलने वाले अतिरिक्त छुट्टी से उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। जब कर्मचारी अच्छी तरह से आराम करते हैं और उनके पास अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के लिए अधिक समय होता है, तो वे काम पर अधिक ऊर्जा, रचनात्मकता और ध्यान के साथ वापस आते हैं। इससे न केवल उनके काम की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि कुल मिलाकर उनकी दक्षता भी बढ़ती है। उन्हें लगता है कि वे एक बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस प्राप्त कर रहे हैं, जिससे उनकी संतुष्टि का स्तर बढ़ता है।

अध्ययन के अनुसार, चार-दिवसीय कार्यसप्ताह का मॉडल अपनाने से कंपनियों को भी कई फायदे मिलते हैं।

बेहतर प्रोडक्टिविटी: कर्मचारी तनाव मुक्त और प्रेरित महसूस करते हैं, जिससे उनके प्रदर्शन में सुधार होता है। वे अपने कार्य में अधिक कुशल हो जाते हैं।

कम लागत: लंबी छुट्टियों के कारण बिजली, पानी और ऑफिस के रखरखाव जैसी चीज़ों पर खर्च कम होता है, जिससे परिचालन लागत में बचत होती है।

उच्च कर्मचारी प्रतिधारण दर : कर्मचारी संतुष्टि बढ़ने से उनका नौकरी बदलने का मन कम करता है, जिससे कंपनी में प्रतिभाशाली लोगों को बनाए रखने में मदद मिलती है। नई भर्तियां और प्रशिक्षण पर खर्च कम होता है।

कम अनुपस्थिति: चूंकि कर्मचारी बेहतर आराम करते हैं और उनका स्वास्थ्य अच्छा होता है, बीमार छुट्टियों और अन्य अनुपस्थितियों में कमी आती है।

प्रतिस्पर्धी लाभ: जो कंपनियां चार-दिवसीय कार्यसप्ताह की पेशकश करती हैं, वे प्रतिभा को आकर्षित करने में अधिक सफल होती हैं। यह उन्हें नौकरी बाजार में एक आकर्षक नियोक्ता बनाता है।

यूरोप, अमेरिका और यहां तक कि कुछ भारतीय कंपनियों में भी इस मॉडल को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आजमाया जा रहा है और इसके शुरुआती नतीजे काफी सकारात्मक हैं। इससे संकेत मिलता है कि भविष्य में यह नया 'वर्क कल्चर' दुनिया भर में एक मानक बन सकता है, जिससे कर्मचारियों की भलाई और व्यावसायिक सफलता दोनों को बढ़ावा मिलेगा। यह एक जीत-जीत की स्थिति है जहां कर्मचारियों को बेहतर जीवन गुणवत्ता मिलती है, और कंपनियां भी बेहतर प्रदर्शन करती हैं।

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