The anger of Shiva's Third eye: जानिए उस स्थान का रहस्य जहां कामदेव हुए थे राख
News India Live, Digital Desk: The anger of Shiva's Third eye: हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान शिव और कामदेव के बीच घटी एक बेहद महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख मिलता है, जिसने ब्रह्मांड में प्रेम और इच्छा के स्वरूप को ही बदल दिया। यह उस समय की बात है जब सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव घोर तपस्या में लीन थे और तीनों लोकों में अराजकता और अव्यवस्था का माहौल व्याप्त था। इसी दौरान, शक्तिशाली राक्षस तारकासुर ने अपनी क्रूरता से स्वर्गलोक को तहस-नहस कर रखा था, और उसे वरदान प्राप्त था कि उसका वध केवल शिव के पुत्र द्वारा ही संभव होगा।
देवताओं को लगा कि अगर शिव विवाह ही नहीं करेंगे, तो पुत्र कैसे होगा और तारकासुर का अंत कैसे होगा? तब देवराज इंद्र और अन्य देवताओं ने प्रेम के देवता कामदेव से सहायता मांगी। कामदेव ने अपनी पत्नी रति के साथ मिलकर शिव की तपस्या भंग करने का निर्णय लिया।
वसन्त ऋतु का समय था, और कामदेव ने शिव के निकट जाकर अपने पुष्प बाण को चलाया, जो सीधा भगवान शिव के हृदय में जाकर लगा। इससे शिव का तप भंग हुआ, और वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोली, जिससे निकली भीषण अग्नि की ज्वाला ने कामदेव को तत्काल भस्म कर दिया, और वे वहीं राख हो गए।
कामदेव की मृत्यु से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, विशेषकर रति अत्यंत व्याकुल होकर विलाप करने लगीं। उन्होंने शिव से अपने पति को जीवित करने की प्रार्थना की। शिव, रति के अनमोल प्रेम और उनके पश्चाताप को देखकर द्रवित हुए। उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित तो किया, परंतु उन्हें "अनंग" (बिना शरीर के) रूप में। इसका अर्थ था कि अब कामदेव को कोई देख नहीं पाएगा, वे सिर्फ भावना और वासना के रूप में जीवित रहेंगे और सभी प्राणियों के मन में निवास करेंगे।
यह घटना जहां हुई थी, उस स्थान को लेकर विभिन्न पौराणिक ग्रंथों और लोकमान्यताओं में कई नाम मिलते हैं, जिनमें मुख्य रूप से कामाख्या यह माना जाता है कि इसी स्थान पर कामदेव भस्म हुए थे और कामाख्या शक्तिपीठ बाद में स्थापित हुआ), कुछ जगहों पर जलेशवर जिसे तमिलनाडु के कन्नुगुल्या क्षेत्र में बताया जाता है और अन्य किरतपुर उत्तर भारत में जैसे स्थानों का उल्लेख मिलता है, जहाँ भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था। इन स्थानों को अत्यंत पवित्र माना जाता है, क्योंकि यहां देवताओं के क्रोध और करुणा का अनूठा मिलन हुआ था।
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