इतिहास की वो दीवार और वो अटूट हौसला वीर बाल दिवस पर साहिबजादों को नम आँखों से सलाम
News India Live, Digital Desk : आज 26 दिसंबर है, यानी 'वीर बाल दिवस'। साल का ये दिन हमें कैलेंडर की किसी आम तारीख जैसा लग सकता है, लेकिन इस तारीख के पीछे जो इतिहास छिपा है, वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है। आज का दिन उन नन्हे नायकों की याद दिलाता है, जिन्होंने इतनी कम उम्र में वो कर दिखाया, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
हम बात कर रहे हैं दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह जी के लाडले साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज इस मौके पर उन्हें याद करते हुए देश को उनके साहस की याद दिलाई है। लेकिन, ये सिर्फ एक श्रद्धांजलि भर नहीं है, बल्कि ये हमारे गौरवशाली इतिहास की वो झलक है जो बताती है कि अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए उम्र मायने नहीं रखती।
एक दीवार और अडिग हौसला
कल्पना कीजिए उन छोटे बच्चों की, जिनके सामने दुनिया की सबसे ताकतवर और क्रूर सत्ता खड़ी थी। उन्हें लालच दिया गया, डराया गया और फिर दीवार में जिंदा चिनवा देने का क्रूर आदेश सुनाया गया। किसी भी साधारण बच्चे के पैर डगमगा जाते, लेकिन गुरु के इन बेटों का इरादा फौलाद से भी सख्त था। उन्होंने सिर कटाना स्वीकार किया, लेकिन अपनी पहचान और धर्म को छोड़ना गंवारा नहीं किया।
क्यों मनाते हैं वीर बाल दिवस?
आज की युवा पीढ़ी के लिए ये समझना बहुत जरूरी है कि आज़ादी और सम्मान की कीमत क्या होती है। पीएम मोदी ने 'वीर बाल दिवस' के जरिए ये संदेश दिया है कि साहिबजादों का बलिदान सिर्फ सिखों तक सीमित नहीं है, बल्कि ये हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी शहादत हमें सिखाती है कि जब देश और संस्कृति की बात आए, तो इंसान को पीछे नहीं हटना चाहिए।
आज देश भर में स्कूलों और संस्थानों में इस दिन को मनाया जा रहा है, ताकि आने वाली नस्लें ये जान सकें कि भारत की मिट्टी में किस कदर वीरता रची-बसी है। साहिबजादों की ये कहानी हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है।
हमारा फर्ज क्या है?
सिर्फ मोमबत्ती जलाना या सोशल मीडिया पर फोटो डालना ही काफी नहीं है। सच्ची श्रद्धांजलि तो तब होगी जब हम उनके बताए हुए साहस के रास्ते पर चलें। साहिबजादों ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए खुद को न्योछावर कर दिया। आज जब हम एक आत्मनिर्भर और विकसित भारत की बात करते हैं, तो उनकी ये निस्वार्थ वीरता ही हमारे चरित्र की नींव होनी चाहिए।
वीर बाल दिवस पर उन वीर सपूतों को दिल से नमन। उनकी यादें हमें हमेशा मजबूती से खड़े रहने का हौसला देती रहेंगी।
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