That secret of Garuda Purana: सिर्फ ये 3 काम कर लीजिए, आपकी तिजोरी कभी खाली नहीं होगी आज ही जानें
News India Live, Digital Desk: That secret of Garuda Purana: हिंदू धर्म में कई ऐसे धर्म ग्रंथ हैं जो केवल मोक्ष मार्ग ही नहीं बताते, बल्कि सफल और खुशहाल जीवन जीने के रहस्य भी उजागर करते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है 'गरुड़ पुराण'। यह महापुराण मुख्य रूप से भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ देव के बीच हुए संवादों पर आधारित है। इसे अक्सर मृत्यु और पुनर्जन्म से जोड़ा जाता है, परंतु यह मात्र परलोक ही नहीं, इस लोक में धन, सुख और शांति प्राप्त करने के भी गहरे सूत्र बताता है। गरुड़ पुराण में कुछ ऐसे जीवन मंत्र बताए गए हैं, जिनका यदि निष्ठापूर्वक पालन किया जाए तो व्यक्ति के घर में हमेशा लक्ष्मी का वास होता है, तिजोरी कभी खाली नहीं होती और परिवार में खुशहाली बनी रहती है। यह ग्रंथ बताता है कि किस प्रकार हमारी दैनिक आदतें और व्यवहार हमारे आर्थिक भाग्य को प्रभावित करते हैं और कैसे हम सही आचरण से जीवन में समृद्धि को आकर्षित कर सकते हैं। यह सिर्फ कर्मकांडों का संग्रह नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक विस्तृत मार्गदर्शिका है जो हर पहलू को छूती है, चाहे वह आपका वित्तीय स्वास्थ्य हो या मानसिक शांति।
गरुड़ पुराण धन और सुख-समृद्धि के लिए कुछ मूलभूत सिद्धांतों पर जोर देता है, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने प्राचीन काल में थे। पहला और सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है "धैर्य और संतोष"। गरुड़ पुराण बताता है कि अधीरता और असंतोष व्यक्ति को कभी सफल नहीं होने देते। यदि व्यक्ति धन प्राप्त करने के लिए हड़बड़ी या गलत रास्तों का चुनाव करता है, तो उसे अल्पकालिक लाभ भले ही मिल जाए, लेकिन स्थायी समृद्धि और मानसिक शांति कभी नहीं मिलती। धैर्य से किया गया कार्य और ईमानदारी से अर्जित धन ही लंबे समय तक टिका रहता है। यह हमें बताता है कि जीवन में संघर्ष अनिवार्य है, लेकिन धैर्यवान रहकर उन संघर्षों का सामना करने से ही वास्तविक सफलता मिलती है। दूसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत है "परिश्रम और ईमानदारी"। पुराण स्पष्ट कहता है कि लक्ष्मी वहीं वास करती हैं जहाँ कठोर परिश्रम के साथ ईमानदारी हो। जो व्यक्ति अपनी कमाई में बेईमानी या गलत तरीके अपनाता है, उसका धन शीघ्र नष्ट हो जाता है और उसे कभी संतुष्टि नहीं मिलती। परिश्रम से कमाया गया धन ही हमें वास्तविक खुशी और संतोष प्रदान करता है, और इसी धन से हमारे जीवन में बरकत आती है।
गरुड़ पुराण उन छोटे-छोटे लेकिन प्रभावशाली आदतों का भी जिक्र करता है, जो धन और खुशहाली को प्रभावित करती हैं। इस ग्रंथ के अनुसार, दान-पुण्य का बहुत महत्व है। यह बताया गया है कि अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीबों, जरूरतमंदों या धर्म कार्यों में दान करना चाहिए। दान से धन घटता नहीं, बल्कि और अधिक बढ़ता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा का चक्र बनाता है। परोपकार और सेवा का भाव व्यक्ति को न सिर्फ आत्मिक शांति देता है, बल्कि ब्रह्मांड की ऊर्जा को आकर्षित करता है, जिससे समृद्धि के द्वार खुलते हैं। यह सिर्फ धन का दान नहीं, बल्कि समय और ज्ञान का दान भी हो सकता है।
दूसरा, यह 'स्वच्छता' को धन और स्वास्थ्य दोनों से जोड़ता है। गरुड़ पुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि माँ लक्ष्मी वहीं वास करती हैं जहाँ साफ-सफाई हो। घर में गंदगी, अव्यवस्था या बिखराव धन की देवी को अप्रसन्न करता है। अपने आस-पास और विशेष रूप से घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए। सुबह-शाम दीपक जलाना, तुलसी को जल देना और नियमित रूप से पूजा-पाठ करना भी शुभ माना गया है, क्योंकि ये आदतें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
तीसरा महत्वपूर्ण सूत्र है 'सही सोच और वाणी'। गरुड़ पुराण बताता है कि नकारात्मक सोच, दूसरों की निंदा करना, या कटु वचन बोलना हमारे जीवन से सकारात्मकता और धन दोनों को दूर कर सकता है। हमें हमेशा सकारात्मक विचार रखने चाहिए और अपनी वाणी में मधुरता रखनी चाहिए। मधुर वाणी से संबंध मजबूत होते हैं और अवसर स्वयं आकर्षित होते हैं। क्रोध और ईर्ष्या से बचना भी आवश्यक है, क्योंकि ये मानसिक शांति भंग करते हैं और सफलता के रास्ते में बाधा बनते हैं।
यह पवित्र ग्रंथ विशेष रूप से सम्मान और कृतज्ञता पर जोर देता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, हमें अपने माता-पिता, गुरुजनों, बड़े-बुजुर्गों और अन्नदाताओं का हमेशा सम्मान करना चाहिए। उनकी सेवा करने और उनका आशीर्वाद लेने से जीवन में कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होती। यह मानता है कि जो व्यक्ति अपने अन्न, धन और समय का सम्मान करता है, वह हमेशा संपन्न रहता है। भोजन का अनादर न करें, अनावश्यक खर्च न करें, और अपने समय का सदुपयोग करें। गरुड़ पुराण यह भी सिखाता है कि हर जीव के प्रति दया भाव रखना चाहिए। पशु-पक्षियों के प्रति क्रूरता या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना नकारात्मक फल देता है, जबकि उनकी सेवा करना और प्रकृति का सम्मान करना पुण्य कर्म है, जिससे सुख-समृद्धि आती है।
इसके अतिरिक्त, इस ग्रंथ में पितरों की शांति और तर्पण का भी उल्लेख है। माना जाता है कि यदि पितर प्रसन्न हों, तो उनका आशीर्वाद जीवन में खुशहाली और संतान सुख लेकर आता है। इन सभी बातों का सार यह है कि गरुड़ पुराण सिर्फ परलोक की ही नहीं, बल्कि इस लोक में भी धर्मपूर्वक, ईमानदारी से और सेवा भाव से जीवन जीने का पाठ पढ़ाता है। जो व्यक्ति इन सिद्धांतों का पालन करता है, उसके घर में न केवल धन से लबालब तिजोरी होती है, बल्कि खुशियां, स्वास्थ्य और शांति भी स्थायी रूप से निवास करते हैं। यह एक ऐसा जीवनदर्शन है जो हमें भीतर और बाहर दोनों ओर से समृद्ध बनाता है।
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