हार के बाद पहली बार गरजे तेजस्वी यादव, कहा- 'चुनाव फिक्स था, मशीनरी ने जनादेश को कुचल दिया'

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  1. तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव को बताया 'फिक्स', EVM से लेकर चुनाव आयोग तक पर उठाए गंभीर सवाल.
  2. क्या बिहार चुनाव में धांधली हुई? तेजस्वी यादव के इन आरोपों के बाद छिड़ी नई बहस.

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लंबे समय से चुप थे. अब पहली बार उन्होंने इस हार पर खुलकर अपनी बात रखी है और ऐसे गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे बिहार की सियासत में भूचाल आ गया है. यूरोप दौरे पर उन्होंने देश के जाने-माने वकील कपिल सिब्बल से बातचीत की, जिसमें उन्होंने चुनाव को पूरी तरह से "फिक्स" बता दिया.

शनिवार को तेजस्वी ने खुद यह वीडियो शेयर किया, जिसमें वह कहते दिख रहे हैं कि चुनाव के नतीजों ने बिहार के लोकतंत्र को गहरी चोट पहुंचाई है.

'कोई यकीन नहीं कर रहा कि हम कैसे हार गए'

लगभग 45 मिनट की इस बातचीत में तेजस्वी यादव ने महागठबंधन की हार पर सवाल उठाते हुए कहा, "कोई समझ ही नहीं पा रहा है कि जो महागठबंधन 75 सीटों पर था, वह अचानक 25 पर कैसे आ गया? बिहार की जनता बदलाव चाहती थी, वोट भी पहले से ज़्यादा पड़े, लेकिन नतीजे ठीक उल्टे आए. यह चुनाव जनता की नहीं, बल्कि 'मशीनरी' की जीत है."

EVM पर फिर उठाए सवाल, कहा- 'अदृश्य शक्तियों ने हराया'

तेजस्वी ने एक बार फिर EVM की विश्वसनीयता पर उंगली उठाई. उन्होंने दावा किया कि पोस्टल बैलेट (डाक मतपत्रों) की गिनती में महागठबंधन 143 सीटों पर आगे था, लेकिन जैसे ही EVM खुलीं, सारे नतीजे पलट गए. उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए कहा, "EVM में कोई अदृश्य शक्ति काम कर रही थी, जो नहीं चाहती थी कि बिहार में बदलाव हो."

'चुनाव से पहले बांटे गए 40 हज़ार करोड़'

बातचीत के दौरान तेजस्वी ने एक और सनसनीखेज आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि चुनाव से ठीक 10 दिन पहले, लगभग 40 हज़ार करोड़ रुपये "रिश्वत की तरह" बांटे गए. उनका कहना था कि बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए हर गलत तरीका अपनाया. उन्होंने यह भी कहा कि पेंशन बढ़ाने जैसी जो योजनाएं हमने अपने घोषणापत्र में रखी थीं, उसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.

चुनाव आयोग को बताया 'बेईमान'

तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर भी तीखा हमला बोला और उसे "बेईमान" कह दिया. उन्होंने सवाल उठाया कि वोटिंग के सीसीटीवी फुटेज को सिर्फ 45 दिनों तक ही सुरक्षित क्यों रखा जाता है? अगर चुनाव पारदर्शी है, तो इस फुटेज को एक साल या उससे ज़्यादा समय तक क्यों नहीं रखा जाता?

तेजस्वी के इन बयानों के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है. विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहा है, तो वहीं सत्ता पक्ष इन आरोपों को हार की हताशा में दिया गया एक राजनीतिक बयान कह रहा है.

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