तेज प्रताप यादव ने छेड़ दिया अपना अलग राग, लालू तेजस्वी के लिए खड़ी हुई नई मुसीबत
News India Live, Digital Desk : बिहार की राजनीति में अगर मनोरंजन और सस्पेंस देखना हो, तो आपको नेटफ्लिक्स की ज़रूरत नहीं है, बस तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की गतिविधियों पर नज़र रख लीजिये। एक बार फिर, 'तेज भैया' ने कुछ ऐसा कर दिया है जिससे उनके पिता लालू प्रसाद यादव और छोटे भाई तेजस्वी यादव की रातों की नींद हराम हो सकती है।
हम सब जानते हैं कि तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) बड़ी मेहनत से आरजेडी (RJD) को एक सीरियस और अनुशासित पार्टी बनाने में लगे हैं। "A to Z" की बात हो रही है, सब को साथ लेकर चलने का प्लान है। लेकिन तभी सीन में तेज प्रताप की एंट्री होती है और वो अपनी अलग डफली, अपना अलग राग अलापने लगते हैं।
अब क्या किया है तेज प्रताप ने? (What has he done now?)
ताज़ा खबर यह है कि तेज प्रताप यादव ने पार्टी की आधिकारिक लाइन से हटकर अपना खुद का एक "नया राजनीतिक अभियान" (New Political Campaign) शुरू करने का ऐलान कर दिया है। इसे आप उनकी 'यारा' कह लीजिये या 'जनसंपर्क अभियान', लेकिन दिक्कत यह है कि इसमें 'पार्टी' कम और 'तेज प्रताप' ज्यादा दिख रहे हैं।
तेज प्रताप का कहना है कि वो जनता की आवाज़ उठाने के लिए यह सब कर रहे हैं। वो सड़कों पर उतरेंगे, न्याय की बात करेंगे। सुनने में तो यह अच्छा लगता है, है न? लेकिन राजनीति में 'सिम्बॉल' बहुत मायने रखते हैं। जब पार्टी का एक ही नेता (तेजस्वी) सब कुछ लीड कर रहा हो, तो बगल से एक और पावर सेंटर का खड़ा होना कन्फ्यूजन पैदा करता है।
तेजस्वी और लालू के लिए 'सिरदर्द'
अंदरखाने की बात करें तो, लालू यादव हमेशा से यही चाहते हैं कि दोनों भाइयों में एकता बनी रहे। वो खुद बीमार रहते हैं और ऐसे में घर का झगड़ा बाहर आना उन्हें बिलकुल पसंद नहीं। लेकिन तेज प्रताप, जिन्हें लोग कभी-कभी "बागी" (Rebel) मूड में देखते हैं, वो बार-बार यह जताना चाहते हैं कि "भैया, मेरी अपनी भी कोई पहचान है।"
उनका यह नया अभियान तेजस्वी के नेतृत्व को सीधी चुनौती तो नहीं, पर "साइड में चुभने वाली सुई" जैसा ज़रूर है। विरोधियों (बीजेपी और जेडीयू) को बैठे-बिठाए मसाला मिल जाता है कि "देखो भाई, घर ही नहीं संभल रहा, बिहार क्या संभालेंगे?"
फैंस भी हैं कन्फ्यूज़
आरजेडी का आम कार्यकर्ता (Cadre) कन्फ्यूज़ है। वो तेजस्वी के पीछे चले या तेज प्रताप के नए संगठन/अभियान के नारों पर ताली बजाए? तेज प्रताप खुद को 'कृष्ण' और तेजस्वी को 'अर्जुन' बताते आए हैं, लेकिन आजकल कृष्ण भगवान का रथ शायद अर्जुन से अलग दिशा में जा रहा है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि लालू यादव अपने "बड़े लाल" को कैसे समझाते हैं? क्या यह अभियान चलेगा या फिर दो दिन की चर्चा के बाद ठंडे बस्ते में चला जाएगा? बिहार की सियासत में 'पिक्चर अभी बाकी है'!
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