Tariff and trade war: अमेरिकी शुल्क से भारत के निर्यात पर क्या होगा असर
- by Archana
- 2025-07-31 11:55:00
News India Live, Digital Desk: Tariff and trade war: टैरिफ यानी आयात शुल्क, किसी देश में बाहर से आने वाले सामानों और सेवाओं पर सरकार द्वारा लगाया जाने वाला एक कर होता है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है। जब कोई देश अपने आयात पर टैरिफ लगाता है, तो विदेशी उत्पाद महंगे हो जाते हैं, जिससे उपभोक्ता घरेलू स्तर पर बने उत्पादों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। यह घरेलू उद्योगों को बढ़ने और अधिक नौकरियां पैदा करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, टैरिफ सरकार के लिए राजस्व का एक स्रोत भी बनते हैं।
हालांकि, टैरिफ के कुछ नकारात्मक पहलू भी हो सकते हैं। वे उपभोक्ता लागत बढ़ा सकते हैं क्योंकि विदेशी उत्पाद महंगे हो जाते हैं। साथ ही, इससे व्यापार युद्ध छिड़ने का जोखिम रहता है, जहाँ दूसरे देश भी बदले में टैरिफ लगाकर निर्यात करने वाले देश के उद्योगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों को नियंत्रित करने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) जैसी संस्थाएं बनाई गई हैं, जो टैरिफ से संबंधित विवादों को सुलझाने में मदद करती हैं।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत जैसे देशों पर 25% टैरिफ लगाने की संभावना व्यक्त की है। ट्रंप का तर्क है कि भारत ने अतीत में अमेरिकी उत्पादों पर बहुत अधिक शुल्क लगाया है, खासकर मोटरसाइकिल जैसी वस्तुओं पर। यदि यह टैरिफ लागू होता है, तो भारत से अमेरिका निर्यात किए जाने वाले उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो सकता है। यह संभावित रूप से भारत के व्यापार अधिशेष को प्रभावित करेगा और दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। इस तरह के टैरिफ लगाने से भारत भी जवाबी टैरिफ लगा सकता है, जिससे व्यापारिक गतिरोध और गहरा सकता है।
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