सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: भ्रामक मेडिकल विज्ञापनों पर IMA याचिका बंद, Rule 170 की हटाई गई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की उस याचिका को बंद कर दिया है, जो पारंपरिक और आयुष चिकित्सा के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ दायर की गई थी। कोर्ट ने जुलाई 2024 में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए Rule 170 के हटाए जाने पर लगी रोक (stay) को भी हटा दिया है। यह नियम आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी दवाओं के विज्ञापनों के लिए राज्य सरकारों की पूर्व मंजूरी अनिवार्य बनाता था ताकि भ्रामक दावों को रोका जा सके।
क्या था मामला?
IMA ने पंतजलि आयुर्वेद के उन विज्ञापनों के खिलाफ याचिका दायर की थी जिनमें आधुनिक चिकित्सा को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में पंतजलि के इन विज्ञापनों पर अस्थाई रोक लगाई और उसके प्रमोटर्स बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्णा के खिलाफ कार्यवाही शुरू की। बाद में कई बार माफी मिलने के बाद यह कार्यवाही बंद कर दी गई।
Rule 170 का हटना और कोर्ट का रुख
2024 में AYUSH मंत्रालय ने Rule 170 को हटाने का नोटिफिकेशन जारी किया, जो विज्ञापनों के लिए राज्याधिकारियों की पूर्व अनुमति की आवश्यकता को समाप्त करता था। कोर्ट ने इसे रोक दिया था, लेकिन अब इस रोक को हटा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि न्यायपालिका इस तरह के नियमों के हटाने या पुनर्स्थापन का अधिकार नहीं रखती। यदि सरकार ने नियम हटाने का निर्णय लिया है, तो कोर्ट उसे पुनर्जीवित नहीं कर सकता।
आगे क्या होगा?
कोर्ट ने सभी पक्षों को यह सलाह दी है कि यदि Rule 170 की हटाई गई व्यवस्था से संबंधित किसी भी शिकायत या समस्या हो तो वे उच्च न्यायालय में राज्य स्तर पर चुनौतियां पेश कर सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि भले ही Rule 170 हट गया हो, उपभोक्ताओं का संरक्षण और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अन्य कानूनी और नियामक प्रावधान लागू रहेंगे।
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