सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आधार सिर्फ पहचान, नागरिकता नहीं , बिहार SIR विवाद में नया मोड़

Post

क्या वाकई आधार कार्ड भारतीय नागरिकता का प्रमाण है? सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के मामले में साफ कह दिया है—आधार कार्ड को नागरिकता के सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस फैसले के बाद देशभर में नई बहस छिड़ गई है। चुनाव आयोग की कार्यवाही और इसके विरोध में उठे सवाल दोनों पर कोर्ट ने बेबाक राय रखी।

चुनाव आयोग को मिली सुप्रीम कोर्ट की ताकीद

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारों की पुष्टि की है, जिसमें आयोग को मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने का हक है। कोर्ट का कहना था—अगर EC के पास जांचने की शक्ति है, तो पूरा डाटा वेरिफाई किया जाना चाहिए। केवल आधार कार्ड दिखा देने से नागरिकता साबित नहीं होती; उसके लिए अलग से दस्तावेज और वेरीफिकेशन जरूरी है।

भावनाओं को हिलाने वाला मामला: वोटर डिलीशन और जन विस्थापन

कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दावा किया कि इस प्रक्रिया में लाखों वोटरों के नाम बिना सही जांच के मिटा दिए गए। इन डिलीटेड नामों में से 31 लाख महिलाएं और 25 लाख पुरुष शामिल हैं। कई बार जीवित व्यक्तियों को मृतक घोषित किया गया और बिना जांच हजारों लोगों का नाम सूची से गायब कर दिया गया। वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में तीखा तर्क दिया कि 2003 से लगातार मतदाता सूची में रहे लोगों को भी फिर से फॉर्म भरने के लिए कहा जा रहा है!

आयोग का जवाब: "हमारी मंशा वोटर लिस्ट को शुद्ध करना है"

चुनाव आयोग ने सफाई दी कि उनका लक्ष्य सिर्फ अपात्र व्यक्तियों को सूची से हटाना है और किसी को राजनीति से बाहर करना नहीं। आयोग का कहना है कि अभी सूची ड्राफ्ट स्टेज में है, और अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी। अगर कहीं गलती हुई है तो उसे सुधार लिया जाएगा।

आधार कार्ड का भविष्य: पहचान या नागरिकता?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड पहचान के लिए इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। नागरिकता के लिए जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, या अन्य सरकारी दस्तावेज जरूरी हैं। कोर्ट ने देशवासियों को आगाह किया कि सिर्फ आधार पर नागरिकता के हक को चुनौती नहीं दी जा सकती।

--Advertisement--