शादी की है या कोई बिज़नेस डील? - 1 साल की शादी के बदले 5 करोड़ मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई ऐसी फटकार!
जिसे सात जन्मों का बंधन और एक पवित्र रिश्ता माना जाता है। लेकिन जब यही रिश्ता पैसे की मांग और लेन-देन का अखाड़ा बन जाए, तो क्या हो? सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जिसे देखकर ख़ुद जज भी दंग रह गए और उन्होंने ऐसी सख़्त टिप्पणी की, जो अब हर तरफ़ चर्चा में है।
यह मामला उन लोगों के लिए एक बड़ा सबक है, जो शादी जैसे रिश्ते को अपनी तिजोरी भरने का ज़रिया समझते हैं।
क्या है पूरा मामला, जो पहुंचा सुप्रीम कोर्ट?
यह कहानी एक ऐसे शादीशुदा जोड़े की है, जिनका रिश्ता सिर्फ़ एक साल ही चल पाया। एक साल साथ रहने के बाद जब दोनों के बीच तलाक की नौबत आई, तो पत्नी ने पति से गुज़ारा भत्ते (Alimony) के तौर पर कोई छोटी-मोटी रक़म नहीं, बल्कि पूरे 5 करोड़ रुपये की मांग कर डाली।
यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो जजों के लिए भी यह यक़ीन करना मुश्किल हो गया।
जब देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा - "यह तो वसूली है!"
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर गहरी नाराज़गी और हैरानी जताई। कोर्ट ने महिला के वकील से सीधे-सीधे पूछा, "ये कोई बिज़नेस है क्या? शादी कोई कमर्शियल लेन-देन नहीं है।"
जजों का गुस्सा यहीं नहीं रुका। उन्होंने इस तरह की मांग को "सीधी-सीधी वसूली" और "एक तरह का कानूनी आतंकवाद" तक कह डाला। यह बहुत ही सख़्त और बड़ी टिप्पणी है, जो दिखाती है कि कोर्ट इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रहा है।
अदालत ने यह भी कहा कि अगर इस तरह की मांगें चलती रहीं, तो कोई भी आदमी शादी करने से डरेगा। यह टिप्पणी उन बढ़ते मामलों की ओर इशारा करती है, जहां शादी के पवित्र बंधन का दुरुपयोग सिर्फ़ पैसा ऐंठने के लिए किया जाता है।
साफ़ है, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना रुख़ साफ़ कर दिया है। यह सिर्फ़ एक केस पर टिप्पणी नहीं, बल्कि समाज को एक कड़ा संदेश है कि शादी के रिश्ते का मज़ाक बनाना और उसे 'वसूली' का अड्डा बनाना किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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