Subscription Plan Price : बिना विज्ञापनों वाला फेसबुक-इंस्टाग्राम आया, कितने रुपये चुकाने होंगे हर महीने?

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News India Live, Digital Desk: Subscription Plan Price : इंस्टाग्राम और फेसबुक (Instagram and Facebook) का इस्तेमाल करने वालों के लिए एक बड़ी खबर है! मेटा (Meta) ने आखिरकार यूरोपीय यूज़र्स के लिए अपने प्लेटफॉर्म से विज्ञापन हटाने के लिए एक नया 'पेड सब्सक्रिप्शन' प्लान (Paid Subscription Plan) लॉन्च कर दिया है. इसका सीधा मतलब यह है कि अगर आप यूरोप में हैं और विज्ञापन-मुक्त अनुभव चाहते हैं, तो अब आपको इसके लिए पैसे चुकाने होंगे.

मेटा ने यह कदम यूरोपीय यूनियन के सख्त प्राइवेसी नियमों, खासकर डेटा सुरक्षा और विज्ञापन ट्रैकिंग को लेकर बढ़ रहे दबाव के चलते उठाया है. ये नए नियम टेक कंपनियों को यूज़र्स की जानकारी का इस्तेमाल करके उन्हें टार्गेटेड विज्ञापन दिखाने से रोकते हैं, अगर यूज़र्स ने इसकी सहमति नहीं दी हो. इसी चुनौती से निपटने के लिए मेटा ने सब्सक्रिप्शन मॉडल का सहारा लिया है.

कितनी है कीमत?

फिलहाल यह सर्विस सिर्फ यूरोप के देशों में उपलब्ध है. सब्सक्रिप्शन प्लान की शुरुआती कीमत बताई गई है:

  • अगर आप वेब पर फेसबुक या इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको 9.99 यूरो (लगभग 900 रुपये) प्रति माह चुकाने होंगे.
  • वहीं, अगर आप मोबाइल ऐप (iOS और Android) पर इन प्लेटफॉर्म्स का विज्ञापन-मुक्त अनुभव लेना चाहते हैं, तो कीमत थोड़ी ज़्यादा है – 12.99 यूरो (लगभग 1,170 रुपये) प्रति माह. मोबाइल पर कीमत ज़्यादा इसलिए है क्योंकि इसमें ऐप्पल (Apple) और गूगल (Google) के इन-ऐप परचेज कमीशन भी शामिल होते हैं.

यह प्लान शुरू में उस अकाउंट को कवर करेगा जिस पर आप सब्सक्रिप्शन लेते हैं. हालाँकि, अगले साल मार्च 2024 (पुराने लेख के अनुसार) से, यदि आप अपने खाते के साथ अन्य खातों को जोड़ना चाहते हैं, तो हर अतिरिक्त जुड़े हुए खाते के लिए भी अलग से शुल्क लग सकता है (जैसे प्रति माह 6 यूरो).

क्या हैं इसके फायदे?

  • विज्ञापन-मुक्त अनुभव: सब्सक्रिप्शन लेने के बाद आप बिना किसी विज्ञापन के फेसबुक और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल कर पाएंगे, जिससे ब्राउजिंग का अनुभव और स्मूद हो जाएगा.
  • गोपनीयता पर ज़्यादा नियंत्रण: यूज़र्स को अपने डेटा पर ज़्यादा नियंत्रण मिलेगा क्योंकि उनके डेटा का उपयोग लक्षित विज्ञापन दिखाने के लिए नहीं किया जाएगा.

हालांकि, यह एक बड़ा बदलाव है और आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यूरोप के यूज़र्स इस नए मॉडल को कितना अपनाते हैं और क्या यह भारत या अन्य देशों में भी लागू होता है. यह कदम यह भी दर्शाता है कि कैसे टेक कंपनियां बढ़ती प्राइवेसी चिंताओं और रेगुलेशंस के बीच अपने व्यापार मॉडल को अनुकूलित कर रही हैं.

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