Spirituality : रुद्राक्ष धारण करने के नियम और विधि पवित्रता और भक्ति का मार्ग

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News India Live, Digital Desk: Spirituality :  रुद्राक्ष, जिसे भगवान शिव का अश्रु माना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मनका है। ऐसी मान्यता है कि इसे विधि-विधान से धारण करने से व्यक्ति को महादेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उसे मानसिक शांति, आरोग्य और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। हालांकि, इसके पूर्ण लाभ प्राप्त करने और इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों और विधियों का पालन करना आवश्यक है।

सबसे पहले, रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसका शुद्धिकरण और प्राण-प्रतिष्ठा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे धारण करने से पूर्व एक कटोरी में कच्चे दूध और गंगाजल का मिश्रण बनाकर उसमें रुद्राक्ष को कुछ देर डुबोकर रखें। इसके बाद, इसे निकालकर स्वच्छ जल से धो लें और किसी साफ कपड़े से पोंछ लें। इसके पश्चात्, अपने ईष्ट देव या भगवान शिव का ध्यान करते हुए 'ओम नमः शिवाय' या मुखी के अनुसार विशेष मंत्र का 108 बार जाप करते हुए इसे ऊर्जावान बनाया जाता है। यह प्रक्रिया रुद्राक्ष को सक्रिय करती है और उसकी आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करती है।

रुद्राक्ष को सामान्यतः स्नान करने के बाद, स्वच्छ शरीर और मन के साथ धारण करना चाहिए। इसे हमेशा पवित्रता बनाए रखते हुए ही धारण करना चाहिए। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियाँ होती हैं जब इसे उतारना अनिवार्य माना जाता है। श्मशान घाट जाते समय, किसी नवजात शिशु के जन्म के बाद होने वाले सूतक के दौरान, और विशेष रूप से सोने से पहले और शारीरिक संबंध बनाते समय इसे अवश्य उतार देना चाहिए। मान्यता है कि इन अवस्थाओं में रुद्राक्ष की पवित्रता भंग हो सकती है। इसे हमेशा एक सुरक्षित और पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए जब इसे न पहन रहे हों।

पवित्रता बनाए रखने के लिए, रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक आहार अपनाना चाहिए। मांस-मदिरा और अन्य तामसिक वस्तुओं का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही, इसे गंदे हाथों से छूने या किसी अपवित्र वस्तु के संपर्क में लाने से भी बचना चाहिए। रुद्राक्ष को नियमित रूप से स्वच्छ रखना और उसकी देखभाल करना भी आवश्यक है। इसे हल्के साबुन वाले पानी से धोकर सुखाया जा सकता है और फिर इसकी चमक व ऊर्जा बनाए रखने के लिए उस पर चंदन का तेल या घी लगाकर साफ किया जा सकता है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि अपना रुद्राक्ष किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा न करें और न ही किसी और का रुद्राक्ष पहनें। यह माना जाता है कि रुद्राक्ष एक व्यक्तिगत ऊर्जा स्रोत होता है, और दूसरों के साथ इसे बदलने से ऊर्जा का आदान-प्रदान हो सकता है जो प्रतिकूल हो सकता है। यदि रुद्राक्ष टूट जाए या खंडित हो जाए, तो इसे किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर देना चाहिए और एक नया रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इन नियमों का पालन करके ही कोई व्यक्ति रुद्राक्ष से मिलने वाले वास्तविक आध्यात्मिक और भौतिक लाभों को प्राप्त कर सकता है और उसके दिव्य गुणों को अनुभव कर सकता है।

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