Spiritual Meaning 16 श्रृंगार का रहस्य यह सिर्फ़ खूबसूरती नहीं, आपकी किस्मत बदलने का रास्ता भी है
News India Live, Digital Desk: हमारे बुजुर्ग और ऋषि-मुनि बहुत समझदार थे। यह श्रृंगार सिर्फ फैशन नहीं है, बल्कि इसका सीधा कनेक्शन ज्योतिष (Astrology) और आपकी सेहत से भी है। चलिए, आज बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि आपकी चूड़ी, बिंदी और सिंदूर कैसे ग्रहों की चाल को भी सुधार सकते हैं।
सिर्फ मेकअप नहीं, ग्रहों का उपाय है 'सोलह श्रृंगार'
ज्योतिष शास्त्र मानता है कि हमारे शरीर के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग ग्रहों से जुड़े होते हैं। जब हम उन हिस्सों को सोने, चांदी या खास रंगों से सजाते हैं, तो हम अनजाने में अपने 'गुड लक' को बढ़ा रहे होते हैं।
- माथे की बिंदी (सूर्य और एकाग्रता):
सबसे पहले बात करते हैं बिंदी की। दोनों भौहों के बीच का जो स्थान होता है, वो 'सूर्य' का माना जाता है। यहाँ बिंदी लगाने से सूर्य मजबूत होता है, जिससे चेहरे पर तेज आता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और दिमाग शांत रहता है। इसे 'आज्ञा चक्र' भी कहते हैं। - मांग का सिंदूर (मंगल की ऊर्जा):
सिंदूर लाल रंग का होता है और लाल रंग मंगल (Mars) का प्रतीक है। मंगल ऊर्जा और ताकत देता है। इसलिए माना जाता है कि सिंदूर लगाने से पति-पत्नी के रिश्ते में ऊर्जा बनी रहती है और यह सुहाग की रक्षा करता है। - आंखों का काजल (बुरी नज़र से बचाव):
बचपन में मां काजल का टीका क्यों लगाती थी? ताकि बुरी नज़र न लगे। ज्योतिष में यह शनि और राहु से जुड़ा है। आंखों में सुरमा या काजल लगाने से नकारात्मकता दूर रहती है और दूसरों की बुरी दृष्टि का असर कम होता है। - नाक की नथ (सांसों का संतुलन):
नाक छिदवाना या नथ पहनना सिर्फ स्टाइल नहीं है। इसे बुध (Mercury) और गुरु ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। आयुर्वेद भी मानता है कि नाक के इस हिस्से का सीधा कनेक्शन महिलाओं की सेहत और सांसों के प्रवाह से होता है। - हाथों की चूड़ियाँ और मेहंदी (चंद्रमा और शीतलता):
हाथों की कलाई का संबंध चंद्रमा से होता है। जब कांच की चूड़ियां खनकती हैं, तो वो सकारात्मक ऊर्जा देती हैं। वहीं, मेहंदी की तासीर ठंडी होती है, जो राहु-केतु जैसे ग्रहों के असर को शांत रखकर तनाव कम करती है। - पैरों की बिछिया और पायल:
चांदी की पायल हमेशा पैरों में ही क्यों पहनी जाती है? क्योंकि चांदी चंद्रमा (Moon) की धातु है और यह शरीर की गर्मी को पैरों के ज़रिये बाहर निकालकर ठंडक देती है। वहीं, बिछिया पहनने का कनेक्शन सीधे गर्भाशय (Uterus) की नसों से होता है, जो शादीशुदा जिंदगी में स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।
तो अगली बार जब सजें...
तो सिर्फ आईने में देखकर यह न सोचें कि "मैं कैसी लग रही हूं," बल्कि यह सोचें कि आप अपने सौभाग्य को भी संवार रही हैं। यह हमारी संस्कृति की वो खूबसूरती है जो विज्ञान और विश्वास दोनों को साथ लेकर चलती है।
--Advertisement--