सोशल मीडिया डेटिंग ऐप: सोशल मीडिया पर बच्चे कितने सुरक्षित? केरल का मामला डेटिंग ऐप्स का काला सच उजागर
सोशल मीडिया डेटिंग ऐप: केरल में एक 16 वर्षीय किशोर से जुड़ी घटना ने सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स के खतरों को उजागर किया है। डेटिंग ऐप के ज़रिए किशोर का यौन शोषण किया गया। पुलिस ने ऐप के ज़रिए किशोर से दोस्ती करने और उसका शोषण करने के आरोप में सरकारी कर्मचारियों समेत 14 लोगों पर आरोप लगाया है। जाँच में पता चला है कि किशोर लगभग 2 साल से एक फ़र्ज़ी प्रोफ़ाइल के ज़रिए इस ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रिय था।
पुलिस के अनुसार, ऐसे मामले अब आम होते जा रहे हैं। 2023 में शुरू किए गए डी-डैड (डिजिटल नशामुक्ति) कार्यक्रम के दौरान ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं। इस पहल का उद्देश्य बच्चों को ऑनलाइन गेम, सोशल मीडिया और पोर्नोग्राफी की लत से बचाना है। वर्तमान में, तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोच्चि, त्रिशूर, कोझीकोड और कन्नूर में 6 केंद्र संचालित हैं। 2025-26 तक, इस पहल का विस्तार पथानामथिट्टा, अलप्पुझा, कोट्टायम, पलक्कड़, मलप्पुरम, वायनाड, इडुक्की और कासरगोड तक करने की योजना है।
डी-डैड की सफलता
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 से जुलाई 2025 तक, डी-डैड केंद्रों ने डिजिटल लत के 1992 मामलों का निपटारा किया, जिनमें से 571 बच्चे ऑनलाइन गेम की लत के शिकार थे। एर्नाकुलम स्थित डी-डैड केंद्र के समन्वयक सूरज कुमार एम बी ने कहा, “हम देख रहे हैं कि लड़के ज़्यादातर ऑनलाइन गेम के आदी हैं, जबकि लड़कियां सोशल मीडिया की ओर ज़्यादा आकर्षित होती हैं। हमारे परामर्शदाता बच्चों और उनके अभिभावकों को इस लत से बाहर निकलने में मदद करते हैं।”
अभिभावकों के दृष्टिकोण में बदलाव
सोराज के अनुसार, इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी सफलता यह है कि माता-पिता अब डिजिटल लत को एक गंभीर समस्या के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “पहले, कई माता-पिता इस बात से इनकार करते थे कि मोबाइल का इस्तेमाल एक लत है, लेकिन अब वे इसकी गंभीरता को समझते हैं और स्वीकार करते हैं कि उनके बच्चों को मदद की ज़रूरत है।”
चिंताजनक आँकड़े
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने विधानसभा को बताया कि जनवरी 2021 से 9 सितंबर, 2025 तक मोबाइल और इंटरनेट के दुरुपयोग के कारण 41 बच्चों ने आत्महत्या की। इसके अलावा, 30 बच्चे डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग से जुड़े यौन या नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों में शामिल पाए गए।
विशेषज्ञों की चेतावनी
साइबर कानून विशेषज्ञ जियास जमाल ने डी-डैड कार्यक्रम को एक आदर्श पहल बताया और अन्य राज्यों को इसका अनुकरण करने की सलाह दी। उन्होंने आगाह किया कि नाबालिगों द्वारा डेटिंग ऐप्स का बढ़ता दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय है। डिजिटल युग में बच्चों की सुरक्षा के लिए अभिभावकों, स्कूलों और सरकार को मिलकर काम करने की ज़रूरत है। डी-डैड जैसी पहल इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन जागरूकता और शिक्षा के साथ-साथ कड़े कानूनी उपायों की भी ज़रूरत है।
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