Shraadh 2025: जानें पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व और कैसे भीम ने सिखाया तर्पण का महत्व
News India Live, Digital Desk: पितृ पक्ष सनातन धर्म का वह सोलह दिवसीय पवित्र काल है जब हम अपने पितरों, यानी पूर्वजों, को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक चलने वाले इस समय को 'महालय श्राद्ध' के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान किए गए तर्पण और पिंड दान से पूर्वजों को तृप्ति मिलती है और वे हमें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि यह पितृ पक्ष पूरे 16 दिनों का क्यों होता है? इसका एक गहरा और रोचक संबंध महाभारत काल के एक महान योद्धा से जुड़ा है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ, तो परमदानी और महान योद्धा दानवीर कर्ण का निधन हो गया। अपनी मृत्यु के उपरांत, कर्ण की आत्मा स्वर्गलोक पहुँची। स्वर्ग में उन्हें सोने-चांदी के ढेर और स्वादिष्ट व्यंजन परोसे गए, लेकिन इन सबके बावजूद कर्ण भूखे ही रहे क्योंकि उन्हें भोजन के रूप में सिर्फ सोने और आभूषण ही प्राप्त हो रहे थे।
कर्ण ने स्वर्गदेवता इंद्र से इस विषम परिस्थिति का कारण पूछा। इंद्र ने तब कर्ण को बताया कि उन्होंने जीवनभर केवल सोने-चांदी और आभूषणों का दान किया, लेकिन अपने पितरों के निमित्त कभी भी अन्न का दान या श्राद्ध नहीं किया। यही कारण है कि स्वर्ग में उन्हें केवल वही मिल रहा था जिसका उन्होंने दान किया था।
कर्ण ने अपनी इस भूल को स्वीकार किया और अपनी गलती सुधारने के लिए इंद्र से 16 दिन के लिए पुनः पृथ्वी लोक पर वापस जाने की अनुमति मांगी। इंद्रदेव ने कर्ण को यह अनुमति दी। कर्ण 16 दिनों के लिए वापस धरती पर आए। इन 16 दिनों तक उन्होंने अपने पितरों का विधि-विधान से श्राद्ध किया, तर्पण किया और ब्राह्मणों को अन्नदान दिया। इस क्रिया से उनके पितर तृप्त हुए और कर्ण की आत्मा को शांति मिली।
यह सोलह दिवसीय अवधि ही 'पितृ पक्ष' के रूप में प्रसिद्ध हुई। तब से यह मान्यता चली आ रही है कि पितृ पक्ष के इन 16 दिनों में जो व्यक्ति अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर्म और दान करता है, उसके पूर्वज प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद देते हैं, जिससे व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। इस प्रकार, पितृ पक्ष सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक पवित्र अवसर है।
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