Shivsena: महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ उद्धव ठाकरे का राज ठाकरे पर बेबाक बयान
News India live, Digital Desk : महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट बढ़ गई है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने अटकलों के बाज़ार को गर्म कर दिया है। उन्होंने अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के साथ संभावित मेल-मिलाप पर अपनी चुप्पी तोड़ी है।
उद्धव का सीधा जवाब: 'किसी को परेशानी तो मेरी दिक्कत नहीं!'
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उद्धव ठाकरे से राज ठाकरे के साथ संभावित गठबंधन को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि उनके और राज ठाकरे के एक साथ आने से किसी को परेशानी होती है, तो यह उनकी समस्या नहीं है। उद्धव ने सीधा और तीखा जवाब देते हुए कहा, "अगर इससे किसी को गुस्सा आता है तो मैं क्या कर सकता हूं?''
बालासाहेब की विचारधारा पर जोर
उद्धव ठाकरे ने यह भी साफ किया कि उनका मुख्य ध्यान 'हिंदुत्व' और 'मराठी मानुस' के उस सिद्धांत पर है, जिसे उनके पिता, दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने स्थापित किया था। उन्होंने कहा, "मैं बालासाहेब ठाकरे के विचारों को आगे बढ़ाने की सोच रहा हूं और जो कोई भी इस हिंदुत्व को स्वीकार करेगा, वह मेरे साथ होगा।"
यह बयान इस बात की तरफ साफ इशारा करता है कि अगर राज ठाकरे भी बालासाहेब की मूल हिंदुत्व और मराठी मानुस की विचारधारा के साथ आते हैं, तो दोनों भाइयों के बीच एक बार फिर गठबंधन संभव है।
राज ठाकरे का पुराना सफर और वर्तमान स्थिति
यह सब जानते हैं कि राज ठाकरे ने बालासाहेब के जीवित रहते हुए ही 2006 में शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी। हालांकि, पिछले कुछ समय से राज ठाकरे हिंदुत्व के एजेंडे पर काफी मुखर रहे हैं, खासकर महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान (मराठी अस्मिता) के मुद्दों पर। उन्होंने लाउडस्पीकर विवाद जैसे कई मुद्दों पर बीजेपी का भी समर्थन किया है, जिसने इन अटकलों को और हवा दी है कि वे एक बार फिर 'हिंदुत्व' के झंडे तले आ सकते हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में बढ़ी हलचल
यह बयान ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट वाली सरकार लगातार उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी पर हमले कर रही है। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने ऐसे बयानों को अब ज्यादा तवज्जो नहीं देने का संकेत दिया है। उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि उनके खिलाफ होने वाले ऐसे बयानों का अब उन पर कोई असर नहीं पड़ता।
फिलहाल, महाराष्ट्र की राजनीति में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या दोनों ठाकरे बंधु एक बार फिर साथ आ पाते हैं, और अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र की राजनीतिक बिसात पर यह कितना बड़ा बदलाव लाएगा। आने वाला समय ही बताएगा कि महाराष्ट्र में 'ठाकरे' ब्रांड की राजनीति किस करवट बैठेगी।
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