Shardiya Navratri 2025: आज से नौ दिनों के लिए हमारे घर बसेंगी माँ
Shardiya Navratri 2025: घंटियों की ध्वनि, अगरबत्ती की मधुर सुगंध और मन में एक अलग ही शांति... यह एहसास हमें बताता है कि माँ दुर्गा हमारे घर पधार चुकी हैं। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व आज से शुरू हो गया है। यह केवल नौ दिनों का व्रत या पूजा-पाठ नहीं है, बल्कि अपने भीतर की शक्ति को जगाने, अपनी आत्मा को शुद्ध करने और माँ के नौ रूपों से कुछ सीखने का एक सुनहरा अवसर है।
इस यात्रा का पहला पड़ाव, पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित है।
माँ शैलपुत्री कौन हैं? पर्वत की पुत्री जो साहस का दूसरा नाम हैं।
"शैल" का अर्थ है पर्वत और "पुत्री" का अर्थ है पुत्री। माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। श्वेत वस्त्र धारण किए, एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प लिए, नंदी पर सवार माँ का यह स्वरूप अत्यंत शांत और प्रेम से परिपूर्ण है। इनकी पूजा करना हमारे जीवन की नींव को मजबूत करने जैसा है।
कहते हैं कि हर शुभ कार्य की शुरुआत मिठाई से होनी चाहिए, लेकिन नवरात्रि की शुरुआत एक मजबूत नींव से होती है। माँ शैलपुत्री वह आधार हैं। वे हमें सिखाती हैं कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, हमारे इरादे हिमालय की तरह अटल और अडिग रहने चाहिए। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा करता है, उसके जीवन में स्थिरता आती है और सभी प्रकार के भय और रोगों से मुक्ति मिलती है।
कैसे करें माँ के पहले रूप का स्वागत?
नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना या कलश स्थापना से होती है। यह सिर्फ़ एक कलश नहीं, बल्कि हमारे घर में माँ शक्ति की स्थापना का प्रतीक है।
- कलश स्थापना करें: किसी साफ़ जगह पर मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ बोएँ। फिर एक कलश में गंगाजल, सुपारी, सिक्के और फूल डालकर उसे स्थापित करें। यह नौ दिनों तक आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र रहेगा।.
- माँ को सफ़ेद रंग है प्रिय: माँ शैलपुत्री को सफ़ेद रंग बहुत प्रिय है। पूजा में उन्हें सफ़ेद फूल (जैसे चमेली) और सफ़ेद वस्त्र अर्पित करें।
भोग में घी: माँ शैलपुत्री को शुद्ध गाय के घी या उससे बनी मिठाई के साथ घी का भोग लगाना सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे भक्त को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। - इस मंत्र से करें माँ को प्रणाम: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
नवरात्रि का यह पहला दिन अपने भीतर एक संकल्प लेने का दिन है। आज जब आप माँ के सामने शीश झुकाएँ, तो उनसे सिर्फ़ माँगें ही नहीं, बल्कि संकल्प भी लें कि इन नौ दिनों में आप एक बुरी आदत छोड़ेंगे और एक अच्छी आदत अपनाएँगे। माँ ज़रूर सुनेंगी।
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