Secret of Astrology: कन्या के विवाह में देरी या आजीवन अविवाहित रहने का क्या है ग्रहों से कनेक्शन
News India Live, Digital Desk: Secret of Astrology: ज्योतिष शास्त्र की मानें तो अक्सर देखने में आता है कि तमाम गुणों के बावजूद कुछ लड़कियों को जीवनसाथी ढूंढने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, या फिर विवाह में अनावश्यक विलंब होता रहता है। कभी-कभी तो ऐसी परिस्थितियाँ बन जाती हैं कि योग्य कन्याएँ आजीवन अविवाहित ही रह जाती हैं। इन सबके पीछे ग्रहों और कुंडली के कुछ विशेष योगों का अहम प्रभाव माना जाता है। हमारी जन्मकुंडली का सप्तम भाव विवाह और वैवाहिक जीवन का मुख्य स्थान होता है, और इसका स्वामी ग्रह पति या पत्नी के कारक ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। यदि कुंडली के इसी सप्तम भाव में कोई अशुभ या क्रूर ग्रह जैसे शनि, मंगल, राहु, केतु, या सूर्य बैठे हों, तो वे विवाह में गंभीर बाधाएं उत्पन्न करते हैं।
स्त्रियों की कुंडली में विवाह के मुख्य कारक ग्रह देवगुरु बृहस्पति (गुरु) माने जाते हैं, जो पति और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि बृहस्पति स्वयं कमजोर अवस्था में हों, जैसे नीच के हों, अस्त हों, वक्री हों, या फिर पाप ग्रहों जैसे शनि, राहु-केतु से पीड़ित हों, तो विवाह में देरी या आजीवन अविवाहित रहने जैसी स्थिति बन सकती है। इसके अलावा, गुरु का छठे, आठवें या बारहवें भाव जैसे अशुभ स्थानों में बैठना भी वैवाहिक सुख में कमी ला सकता है।
मंगल दोष भी विवाह में बड़ी बाधा माना जाता है। यदि कुंडली में मंगल लग्न, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो मंगली दोष बनता है, जिससे विवाह में विलंब या दांपत्य जीवन में संघर्ष की आशंका रहती है। इतना ही नहीं, कभी-कभी सप्तम भाव के स्वामी ग्रह का नीच का होना, अस्त होना, या वक्री होकर कमजोर हो जाना भी विवाह के योगों को क्षीण कर देता है। कुछ परिस्थितियों में तो ऐसी स्थितियाँ भी देखी जाती हैं जब विवाह होते-होते टूट जाता है, या योग्य रिश्ते बनते ही नहीं।
इन सभी ग्रहों के दोष और उनकी दशाएँ मिलकर जीवन में विवाह जैसी महत्वपूर्ण घटना को प्रभावित करती हैं। यही कारण है कि विवाह से पूर्व कुंडली मिलान और ज्योतिषीय विश्लेषण करवाना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। एक योग्य ज्योतिषी इन दोषों का आकलन कर सकता है और इनके शमन के लिए उचित उपाय सुझा सकता है, ताकि व्यक्ति एक सुखद और स्थिर वैवाहिक जीवन का आनंद ले सके।
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