पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का अद्भुत संयोग! क्या पितरों को विदाई देते समय लगेगा ग्रहण का साया?
Sarva Pitra Amavasya 2025: इस साल पितृ पक्ष के आखिरी दिन, यानी सर्व पितृ अमावस्या पर एक बहुत बड़ी और दुर्लभ खगोलीय घटना होने जा रही है। 21 सितंबर 2025, रविवार को जब हम सब अपने पितरों (पूर्वजों) को श्रद्धा के साथ विदा कर रहे होंगे, उसी दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगेगा।
अमावस्या और सूर्य ग्रहण का एक ही दिन होना ज्योतिष और धर्म की दृष्टि से एक बहुत बड़ा महासंयोग माना जाता है। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि क्या इस ग्रहण का श्राद्ध और तर्पण पर कोई असर पड़ेगा?
सबसे ज़रूरी बात: क्या यह भारत में दिखेगा और सूतक लगेगा?
आइए सबसे पहले आपका सबसे बड़ा कन्फ्यूजन दूर करते हैं।
- भारत में नहीं दिखेगा ग्रहण: साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
- सूतक काल नहीं लगेगा: ज्योतिष के नियम कहते हैं कि सूतक काल सिर्फ़ वहीं मान्य होता है, जहाँ ग्रहण दिखाई देता है। चूँकि यह भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए यहाँ किसी भी तरह का सूतक काल नहीं माना जाएगा।
इसका मतलब है कि आप सर्व पितृ अमावस्या के सभी श्राद्ध, तर्पण और पूजा-पाठ बिना किसी रोक-टोक के, अपने समय पर आराम से कर सकते हैं। मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे और आपकी पूजा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कहाँ और किस समय दिखेगा ग्रहण?
भारतीय समय के अनुसार, इस सूर्य ग्रहण का समय यह रहेगा:
- ग्रहण शुरू होगा: सुबह 06:18 बजे
- ग्रहण समाप्त होगा: सुबह 08:34 बजे
यह ग्रहण मुख्य रूप से अंटार्कटिका, न्यूज़ीलैंड के कुछ दक्षिणी हिस्सों और दक्षिणी महासागर क्षेत्र में ही दिखाई देगा।
इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया
भले ही ग्रहण भारत में न दिखे, लेकिन सर्व पितृ अमावस्या के दिन इस खगोलीय घटना का होना इस तिथि के महत्व को कई गुना बढ़ा देता है।
पितरों की विदाई का दिन: सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि हमें याद नहीं रहती।
दान-पुण्य का महाफल: अमावस्या तिथि दान-पुण्य और तर्पण के लिए भी अत्यंत शुभ मानी जाती है। और जब इस दिन सूर्य ग्रहण जैसा महासंयोग हो, तो इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल कई गुना बढ़ जाता है।
इस दिन आप ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं, गरीबों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान कर सकते हैं। माना जाता ਹੈ कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
तो, इस सर्व पितृ अमावस्या पर बिना किसी चिंता के अपने पितरों को पूरी श्रद्धा के साथ विदा करें और इस दिन के पुण्य का लाभ उठाएँ।
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