हनुमानगढ़ में संग्राम विधायक रूपिंदर कुन्नर गिरफ्तार, पुलिस ने बरसाईं लाठियां, शहर में तनाव चरम पर

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News India Live, Digital Desk : राजस्थान का शांत शहर हनुमानगढ़ आज अचानक 'अखाड़ा' बन गया। तस्वीरें और वीडियो देखकर यकीन नहीं होता कि अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों और एक चुने हुए विधायक (MLA) के साथ पुलिस ऐसा भी कर सकती है। श्रीकरणपुर से कांग्रेस विधायक रूपिंदर सिंह कुन्नर (Rupinder Singh Kunnar) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, और उसके बाद जो हुआ, उसने माहौल में आग लगा दी है।

आखिर हुआ क्या था? (What Actually Happened?)

मामला वही पुराना, मगर सबसे ज़रूरी है पानी (Water/Irrigation Issues)। हनुमानगढ़ और आसपास के किसान सिंचाई के पानी की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर रहे थे। विधायक कुन्नर अपने समर्थकों और किसानों के साथ वहां आवाज़ उठाने पहुंचे थे।

शुरुआत में सब कुछ नारेबाज़ी तक सीमित था, लेकिन अचानक पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच 'तू-तू मैं-मैं' बढ़ गई। देखते ही देखते बात इतनी बिगड़ी कि पुलिस को लाठीचार्ज (Lathicharge) करना पड़ा। और भई, लाठियां जब चलती हैं तो ये नहीं देखतीं कि सामने आम किसान खड़ा है या नेता जी। इस धक्का-मुक्की में कई लोगों के घायल होने की खबर है, यहाँ तक कि कई पगड़ियां हवा में उछलती दिखीं।

विधायक जी की गिरफ्तारी

माहौल को गरमाता देख पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और विधायक रूपिंदर सिंह कुन्नर को हिरासत में ले लिया (Arrested)। उन्हें पकड़कर गाड़ी में बैठाया गया। विधायक समर्थकों ने पुलिस की गाड़ी को घेरने की कोशिश की, मगर खाकी वर्दी की सख्ती के आगे उनकी एक न चली।

कुन्नर साहब का कहना है कि वे तो शांति से जनता की बात रख रहे थे, लेकिन पुलिस ने जानबूझकर बल प्रयोग किया। वहीं प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शनकारी कानून-व्यवस्था (Law and Order) बिगाड़ रहे थे, बैरिकेड तोड़ने की कोशिश हो रही थी, इसलिए सख्ती ज़रूरी थी।

तनाव और बढ़ सकता है!

विधायक की गिरफ्तारी की खबर जंगल की आग की तरह पूरे राजस्थान में फैल गई है। कांग्रेस के कार्यकर्ता और किसान संगठन गुस्से में हैं। थाने के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई है और नारेबाजी चल रही है। लोग विधायक को तुरंत रिहा करने की मांग कर रहे हैं।

हनुमानगढ़ में अभी हालात 'नाजुक' हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि फिर से कोई हिंसा न भड़के।

आम जनता क्या सोच रही है?

यार, जनता का सवाल सीधा है वह अपनी प्यासी ज़मीन के लिए पानी मांगने आए थे, लाठी खाने नहीं। जब चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ सड़क पर यह हो सकता है, तो आम आदमी की बिसात क्या? खैर, अब देखना यह है कि यह मामला शांत होता है या फिर एक बड़े आंदोलन की शक्ल ले लेता है।

फिलहाल, अगर आप हनुमानगढ़ कलेक्ट्रेट की तरफ जाने की सोच रहे हैं, तो अभी रास्ता बदल लीजिये। वहां "नो एंट्री" वाला माहौल है।

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