नेपाल में 'नारी शक्ति' का नया अध्याय! सबिता भंडारी बनीं देश की पहली महिला अटॉर्नी जनरल

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काठमांडू: हिमालय की गोद में बसे हमारे पड़ोसी देश नेपाल ने इतिहास रच दिया है. पितृसत्तात्मक समाज की बेड़ियों को तोड़ते हुए, नेपाल के न्याय प्रणाली में एक ऐसा बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है. देश को अपनी पहली महिला अटॉर्नी जनरल मिल गई है, जिनका नाम है सबिता भंडारी (Sabita Bhandari).

यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि नेपाल की लाखों महिलाओं के लिए आशा, प्रेरणा और सशक्तिकरण का एक जीता-जागता प्रतीक है. यह इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं अब हर उस दरवाजे को खटखटा रही हैं, जो कभी सिर्फ पुरुषों के लिए ही खुले समझे जाते थे.

किसने लिया यह ऐतिहासिक फैसला?

नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद कारकी के नेतृत्व वाली नई सरकार की सिफारिश पर सबिता भंडारी की नियुक्ति को मंजूरी दी. इस फैसले ने न केवल नेपाल की कानूनी बिरादरी में, बल्कि पूरे देश में खुशी और गर्व की लहर दौड़ा दी है.

सबिता भंडारी ने दीन दयाल भंडारी की जगह ली है, जिन्होंने पिछली सरकार के साथ इस्तीफा दे दिया था. उनकी नियुक्ति इस बात का साफ संकेत है कि नई सरकार लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को लेकर कितनी गंभीर है.

कौन हैं सबिता भंडारी?

सबिता भंडारी नेपाल के कानूनी क्षेत्र में एक जाना-माना और सम्मानित नाम हैं. वह लंबे समय से न्याय और कानून के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही हैं. संवैधानिक कानून पर उनकी गहरी पकड़ और विशेषज्ञता है. वह अपनी निष्पक्षता, कड़ी मेहनत और सिद्धांतों के लिए जानी जाती हैं.

अटॉर्नी जनरल के रूप में, वह अब नेपाल सरकार की मुख्य कानूनी सलाहकार होंगी. वह अदालतों में सरकार का पक्ष रखेंगी और कानूनी और संवैधानिक मामलों पर सरकार को अपनी विशेषज्ञ सलाह देंगी. यह एक बहुत ही शक्तिशाली और जिम्मेदारी भरा पद है, और इस पर एक महिला का बैठना नेपाल के इतिहास में एक नया मील का पत्थर है.

यह नियुक्ति न केवल नेपाल की कानूनी प्रणाली को और मजबूत करेगी, बल्कि देश की उन लाखों लड़कियों और महिलाओं को भी बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला देगी. सबिता भंडारी ने आज यह साबित कर दिया है कि काबिलियत और मेहनत का कोई जेंडर नहीं होता.

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