रूस-यूक्रेन छोड़िए, अब यह देश बन रहा भारतीय मेडिकल छात्रों की पहली पसंद, पैसा भेजना 5 गुना बढ़ा

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News India Live, Digital Desk: एक समय था जब डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले भारतीय छात्रों के लिए विदेश में पढ़ाई का मतलब अक्सर यूक्रेन या रूस होता था। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया है। अब हजारों भारतीय छात्र अपने सपने को पूरा करने के लिए एक नए, सुरक्षित और बेहतर विकल्प की ओर बढ़ रहे हैं, और उस देश का नाम है- जॉर्जिया।

यह बदलाव सिर्फ एक अनुमान नहीं, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, जॉर्जिया में शिक्षा पर भारतीय छात्रों द्वारा भेजे जाने वाले खर्च में लगभग पांच गुना की भारी बढ़ोतरी हुई है। साल 2018-19 में यह रकम जहां 10.33 मिलियन डॉलर थी, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 50.25 मिलियन डॉलर पर पहुंच गई। दूसरी तरफ, कभी छात्रों का पसंदीदा रहा यूक्रेन अब इस दौड़ में काफी पिछड़ गया है। युद्ध के कारण यूक्रेन भेजे जाने वाली रकम 14.80 मिलियन डॉलर से घटकर महज 2.40 मिलियन डॉलर रह गई है।ये आंकड़े साफ तौर पर दिखाते हैं कि भारतीय छात्र अब जॉर्जिया को एक भरोसेमंद ठिकाने के रूप में देख रहे हैं।[

आइए जानते हैं कि आखिर जॉर्जिया में ऐसा क्या खास है जो उसे भारतीय मेडिकल छात्रों के बीच इतना लोकप्रिय बना रहा है।

1. कम फीस में वर्ल्ड क्लास एजुकेशन
जॉर्जिया का सबसे बड़ा आकर्षण यहां की किफायती लेकिन उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा है। भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की आसमान छूती फीस के मुकाबले, जॉर्जिया में एमबीबीएस की पढ़ाई काफी सस्ती है। यहां की सालाना ट्यूशन फीस 4,000 से 8,000 डॉलर के बीच है और रहने का खर्च भी यूरोप के अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।एक अनुमान के मुताबिक, 6 साल के पूरे कोर्स का खर्च 35 से 50 लाख रुपये के बीच आता है

2. NMC और WHO से मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी
यह भारतीय छात्रों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानदंडों में से एक है। जॉर्जिया की ज़्यादातर टॉप मेडिकल यूनिवर्सिटीज नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) से मान्यता प्राप्त हैं। इसका मतलब है कि यहां से डिग्री लेने के बाद छात्र भारत में प्रैक्टिस करने के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) या भविष्य में होने वाले नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) में बैठने के लिए पूरी तरह से योग्य होते हैं।

3. अंग्रेजी में पढ़ाई, भाषा की कोई चिंता नहीं
कई देशों में स्थानीय भाषा सीखना छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है। लेकिन जॉर्जिया में एमबीबीएस का पूरा कोर्स अंग्रेजी माध्यम में होता है, जिससे छात्रों को भाषा की कोई समस्या नहीं आती और वे अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा सकते हैं।

4. सुरक्षित माहौल और आसान वीजा प्रक्रिया
विदेश में पढ़ाई के लिए जाते समय सुरक्षा एक अहम चिंता का विषय होता है। जॉर्जिया को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बहुत ही सुरक्षित और स्वागत करने वाला देश माना जाता है। यहां पहले से ही भारतीय छात्रों का एक बड़ा समुदाय है, जिससे नए छात्रों को घुलने-मिलने में आसानी होती है। आंकड़ों के अनुसार, 2019 में जहां 4,148 भारतीय छात्र जॉर्जिया गए थे, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 10,470 हो गई।

5. भारत में प्रैक्टिस के लिए बेहतर संभावनाएं
विदेश से पढ़ाई का अंतिम लक्ष्य भारत में सफल करियर बनाना होता है। इस मामले में भी जॉर्जिया बेहतर साबित हो रहा है। जॉर्जिया से पढ़े छात्रों का FMGE पास करने का प्रतिशत रूस और चीन जैसे देशों की तुलना में काफी अच्छा रहा है। 2024 के आंकड़ों के अनुसार, जॉर्जिया का औसत पास प्रतिशत 35.65% था

कुल मिलाकर, रूस-यूक्रेन संकट के बाद बदली हुई परिस्थितियों में जॉर्जिया भारतीय मेडिकल छात्रों के लिए एक सुरक्षित, किफायती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बेहतरीन विकल्प के रूप में उभरा है।

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