Rules for wearing the holy Rudraksha: सही विधि और आचरण से पाएं शिव की असीम कृपा
News India Live, Digital Desk: Rules for wearing the holy Rudraksha: रुद्राक्ष, भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न मानी जाने वाली एक पवित्र माला है, जिसे धारण करने वाले को असीम शक्ति, शांति और महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह सिर्फ एक दाना नहीं, बल्कि शिव के दिव्य अंश का प्रतीक है, जिसे धारण करने से पहले और बाद में कुछ विशेष नियमों और मर्यादाओं का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों का पालन ही रुद्राक्ष की सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करता है और उसके शुभ फलों को प्राप्त करने में मदद करता है।
रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे शुद्ध और प्राण-प्रतिष्ठित करना बेहद ज़रूरी है। किसी शुभ दिन पर रुद्राक्ष को गंगाजल और कच्चे दूध से धोकर उसकी शुद्धि करनी चाहिए। कुछ परंपराओं में इसे बिल्वपत्र और गाय के गोबर से बनी राख (भस्म) से भी शुद्ध किया जाता है। इसके बाद, भगवान शिव के मूल मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' या रुद्राक्ष के संबंधित विशेष मंत्र 'ॐ हूँ नमः' का कम से कम 108 बार जाप करके उसे प्राण-प्रतिष्ठित करना चाहिए, ताकि वह जागृत हो सके और अपनी पूर्ण ऊर्जा के साथ काम कर सके। रुद्राक्ष की संख्या (मुखी) के अनुसार भी उसके धारण के विशेष मंत्र होते हैं, जिन्हें किसी विद्वान पुजारी से जानकर उनका जाप किया जा सकता है।
एक बार रुद्राक्ष धारण करने के बाद उसकी पवित्रता बनाए रखना सर्वोपरि है। यह व्यक्तिगत धारणा की वस्तु है, अतः इसे किसी भी व्यक्ति के साथ साझा नहीं करना चाहिए और न ही किसी दूसरे व्यक्ति को इसे छूने देना चाहिए। अपने रुद्राक्ष को अपनी निजी शक्ति का हिस्सा मानें। कुछ ऐसी परिस्थितियाँ हैं जहाँ रुद्राक्ष को उतारना आवश्यक हो जाता है। उदाहरण के लिए, संभोग के समय या यदि आप शमशान घाट जैसी अपवित्र जगह पर जा रहे हैं तो इसे उतार देना चाहिए। सोने से पहले भी इसे उतारकर सिरहाने के नीचे या किसी पवित्र स्थान पर रख देना चाहिए, ताकि शरीर आराम करे और रुद्राक्ष भी अपनी ऊर्जा को बनाए रख सके।
रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक और मर्यादित जीवन जीना चाहिए। शराब, मांसाहार, प्याज, लहसुन जैसी तामसिक वस्तुओं से दूर रहना चाहिए। अपने रुद्राक्ष की नियमित सफाई भी अत्यंत आवश्यक है। उसे हल्के गर्म पानी और साफ कपड़े से समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए, ताकि धूल और गंदगी न जमे और उसकी पवित्रता बनी रहे। यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि इसे छोटे बच्चों की पहुँच से दूर रखें, ताकि वे इसे गलती से नुकसान न पहुँचा दें।
एक बड़ी गलतफहमी यह है कि रुद्राक्ष केवल विशिष्ट जाति या पंथ के लोग ही पहन सकते हैं। यह सरासर गलत है। रुद्राक्ष भगवान शिव का वरदान है और कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या लिंग का हो, इसे धारण कर सकता है, बशर्ते वह उसके पवित्र नियमों का सम्मान करे और पूरी निष्ठा के साथ महादेव पर आस्था रखे।
सही नियमों और सच्चे मन से रुद्राक्ष धारण करने से यह धारक को न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है बल्कि स्वास्थ्य, सफलता और सुरक्षा में भी सहायक होता है। यह एक ऊर्जा कवच की तरह काम करता है जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।
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