RJD Leader : लोकतंत्र के पर्व पर तेजस्वी का अटपटा बोल सीएम रेस में आगे रहकर भी चुनावों से परहेज की बात क्यों
News India Live, Digital Desk: RJD Leader : बिहार की राजनीति में युवा नेता और राष्ट्रीय जनता दल RJD के प्रमुख चेहरा तेजस्वी यादव ने एक बार फिर अपनी बातों से सबको चौंका दिया है। चुनावी प्रक्रिया के बहिष्कार को लेकर उन्होंने फिर से ऐसा बयान दिया है, जिसने न केवल राजनैतिक गलियारों में बल्कि आम लोगों के बीच भी तीखी बहस छेड़ दी है। यह बात इसलिए और भी खास हो जाती है क्योंकि हाल ही में हुए मुख्यमंत्री पद के सर्वे में वे मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आगे चल रहे हैं, ऐसे में उनका यह बयान कई सवाल खड़े करता है।
आखिर मुख्यमंत्री की कुर्सी की दौड़ में आगे रहने के बावजूद तेजस्वी यादव ऐसा बयान क्यों दे रहे हैं? इस पर राजनैतिक पंडित कई तरह के कयास लगा रहे हैं। उनका यह बयान, हालांकि सीधा किसी कारण का जिक्र नहीं करता, लेकिन यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करने का एक तरीका माना जा रहा है। ऐसे सुझाव अक्सर उन स्थितियों में आते हैं जहां राजनीतिक दलों को चुनावी परिणाम को लेकर कुछ गहरी चिंताएं या संदेह होते हैं, या फिर यह सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाने की रणनीति भी हो सकती है।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और चुनाव यहां लोकतंत्र का आधार स्तंभ माने जाते हैं। जनता अपने मताधिकार का प्रयोग कर ही अपनी सरकार चुनती है। ऐसे में, चुनावों के बहिष्कार या उन्हें 'अप्रसांगिक' कहने का विचार न केवल असाधारण है, बल्कि यह संवैधानिक प्रक्रियाओं पर भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। इस तरह के बयान से वोटरों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है और लोकतंत्र के महत्व पर भी सवाल उठ सकते हैं।
सर्वे में मजबूत स्थिति में होने के बावजूद, तेजस्वी का यह रुख दिखाता है कि राजनीति में सिर्फ संख्याबल ही सब कुछ नहीं होता। ऐसे बयान कई बार बड़े राजनैतिक दांव का हिस्सा भी होते हैं, जो विरोधियों पर दबाव बनाने या किसी विशेष मुद्दे पर ध्यान खींचने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। उनके इस बयान ने बिहार की चुनावी रणनीति और उसके भविष्य को लेकर नए सिरे से अटकलें तेज कर दी हैं। क्या यह केवल एक राजनीतिक बयानबाजी है या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति छिपी है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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