RBI Guidelines for EMI: अब इन बैंकों की EMI देर से चुकाने पर भी नहीं देना होगा जुर्माना, लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी

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आज के समय में लोन लेना बहुत आम बात है। चाहे घर खरीदना हो, गाड़ी खरीदनी हो, या बच्चों की पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन लेना हो, हर किसी ने कभी न कभी बैंक से लोन लिया ही है।   

 

 

लोन मिलने के बाद सबसे ज़रूरी होता है हर महीने समय पर ईएमआई चुकाना। लेकिन कई बार पैसों की कमी या किसी और वजह से लोग समय पर ईएमआई नहीं चुका पाते, जिसकी वजह से उन पर भारी जुर्माना लग जाता है।  

 

अब भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 2025 में EMI से जुड़ी नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। इन नियमों से करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी। अब अगर आपकी EMI किसी भी वजह से लेट होती है, तो आपको पहले की तरह भारी-भरकम पेनल्टी नहीं देनी पड़ेगी। RBI का यह कदम आम लोगों के हित में है और इससे बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी।  

 

इस लेख में, आइए जानते हैं कि RBI की नई EMI गाइडलाइन्स क्या हैं? इसके क्या फायदे हैं? इससे सबसे ज़्यादा फ़ायदा किसे होगा? बैंकों और NBFC में क्या बदलाव आएंगे?  

 

RBI ने 15 जून, 2025 से EMI से संबंधित नए दिशानिर्देश लागू कर दिए हैं। इन नियमों के तहत, अब बैंकों और NBFC को EMI में देरी पर पेनल्टी ब्याज नहीं लेना होगा। पहले, अगर कोई व्यक्ति अपनी EMI समय पर नहीं चुकाता था, तो उस पर अतिरिक्त ब्याज यानी पेनल्टी ब्याज लगाया जाता था। इससे कुल लोन राशि और बढ़ जाती थी।  

अब नए दिशानिर्देशों के तहत, केवल एक निश्चित पैनल शुल्क ही लिया जा सकेगा। वह भी बेहद सीमित और पारदर्शी तरीके से। इस पैनल शुल्क के ऊपर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जा सकेगा। साथ ही, बैंक या एनबीएफसी अब लोन एग्रीमेंट में छिपी या जटिल शर्तें नहीं जोड़ सकेंगे, जिनसे बाद में ग्राहक को नुकसान हो सकता है।  

इन नियमों का उद्देश्य उधारकर्ताओं को अनावश्यक और मनमाने शुल्कों से बचाना तथा उन्हें समय पर ईएमआई चुकाने के लिए प्रोत्साहित करना है।  

 

पहले, अगर कोई EMI देरी से भरता था, तो 1.5% से 3% तक का पेनल्टी ब्याज देना पड़ता था। अब इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। अब सिर्फ़ एक छोटा सा पैनल शुल्क लिया जाता है, जिसकी जानकारी ग्राहक को पहले से होती है।  

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