RBI ने दो बैंकों के विलय को मंजूरी दी, जानिए बैंक ग्राहकों पर क्या होगा असर?
बैंक विलय: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 1 अगस्त, 2025 को दो सहकारी बैंकों न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और सारस्वत कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के स्वैच्छिक विलय को मंजूरी दे दी है। यह विलय 4 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगा। इस विलय के बाद, न्यू इंडिया बैंक की सभी शाखाएं अब सारस्वत बैंक की शाखाओं के रूप में कार्य करेंगी।
विलय का कारण क्या है?
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक कुछ समय से नियामकीय निगरानी में था। फरवरी 2025 में, बैंक के शीर्ष प्रबंधन पर 122 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगा था। इसी वजह से, आरबीआई ने 14 फरवरी को बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया और एक प्रशासक नियुक्त कर दिया। उस समय, बैंक की कुल 27 शाखाएँ थीं, जिनमें से 17 मुंबई में स्थित थीं। वित्तीय अनियमितताओं और निगरानी के कारण बैंक पर जमाकर्ताओं की निकासी पर भी प्रतिबंध लगा हुआ था।
आरबीआई द्वारा यह कदम क्यों आवश्यक था?
आरबीआई ने निवेशकों के हितों की रक्षा और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया। विलय के ज़रिए न्यू इंडिया बैंक को सारस्वत बैंक के मज़बूत नेटवर्क और संसाधनों का फ़ायदा मिलेगा, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहेगी और ग्राहक सेवाओं में सुधार होगा।
इस विलय से उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इस विलय से ग्राहकों को कई लाभ होंगे। सारस्वत बैंक देश का सबसे बड़ा शहरी सहकारी बैंक है, जिसके पास एक मज़बूत बैंकिंग नेटवर्क और तकनीकी संसाधन हैं। न्यू इंडिया बैंक के ग्राहकों को बेहतर बैंकिंग सुविधाएँ, ज़्यादा शाखाएँ और उन्नत डिजिटल सेवाएँ मिलेंगी। जमाकर्ताओं को निकासी सीमा जैसी पाबंदियों से राहत मिलेगी। विलय के बाद, सारस्वत बैंक की बाज़ार हिस्सेदारी और ग्राहक आधार, दोनों बढ़ेंगे। इससे सहकारी बैंकिंग क्षेत्र मज़बूत होगा और ग्राहकों को ज़्यादा विश्वसनीय बैंकिंग विकल्प मिलेंगे। साथ ही, विलय से परिचालन में दक्षता बढ़ेगी और बैंक की वित्तीय स्थिति में भी सुधार होगा।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खातों और बैंकिंग विवरणों की नियमित रूप से जाँच करते रहें। विलय के दौरान बैंक की ओर से आने वाली किसी भी जानकारी या बदलाव पर ध्यान दें। नए खाते खोलने या लेन-देन करने के लिए केवल बैंक की आधिकारिक शाखाओं और वेबसाइट का ही उपयोग करें।
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