Ranchi Land Scam : हेमंत सोरेन के सबसे खास को हाईकोर्ट से झटका, ED बोली- यह प्यादा नहीं, वजीर है

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News India Live, Digital Desk: Ranchi Land Scam : झारखंड के सबसे चर्चित जमीन घोटाले की आंच अब बड़े-बड़े लोगों तक पहुँच रही है. इस मामले में एक और बड़ा मोड़ आया है, जो पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खेमे के लिए किसी झटके से कम नहीं है. सोरेन के 'सबसे करीबी' और 'राइट-हैंड मैन' माने जाने वाले विनय सिंह को झारखंड हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है.

अदालत ने जमीन घोटाले के इस मामले में विनय सिंह की जमानत याचिका को साफ-साफ खारिज कर दिया है. इसका सीधा मतलब है कि विनय सिंह को फिलहाल जेल में ही रहना होगा.

क्यों नहीं मिली जमानत, जबकि दूसरे आरोपी बाहर हैं?

यह सवाल हर किसी के मन में था. विनय सिंह के वकील ने भी अदालत में यही दलील दी. उन्होंने कहा कि इस केस में कुछ दूसरे आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, और एफआईआर में तो विनय सिंह का नाम तक नहीं था. तो फिर उन्हें जमानत क्यों नहीं मिलनी चाहिए?

...लेकिन ED ने कोर्ट में खोला पूरा कच्चा-चिट्ठा

विनय सिंह के वकील की दलीलों के जवाब में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने अदालत के सामने जो तर्क रखे, उसने पूरे मामले का रुख ही पलट दिया. ED ने कहा कि विनय सिंह कोई छोटा-मोटा मोहरा या प्यादा नहीं है, बल्कि इस पूरे घोटाले का "मुख्य साजिशकर्ता" (Main Conspirator) है.

ED ने कोर्ट को बताया:

  1. यह 'मास्टरमाइंड' है: ED ने कहा कि जिन आरोपियों को जमानत मिली है, घोटाले में उनकी भूमिका विनय सिंह के मुकाबले बहुत छोटी थी. विनय ही वो शख्स है जिसने पर्दे के पीछे से सारे तार जोड़े.
  2. पुराने 'पाप' भी हैं साथ: ED ने बताया कि विनय सिंह का एक लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास है. उस पर पहले से ही दर्जनों आपराधिक मामले चल रहे हैं.
  3. गवाहों ने लिया सीधा नाम: ED ने यह भी बताया कि उनके पास ऐसे गवाह हैं, जिन्होंने सीधे तौर पर इस घोटाले में विनय सिंह की अहम भूमिका के बारे में खुलासा किया है.

अदालत ने मानी ED की बात

जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ED के तर्कों को ज्यादा मजबूत माना. अदालत ने कहा कि विनय सिंह के खिलाफ जो सबूत हैं, उन्हें देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती.

अदालत ने न सिर्फ जमानत याचिका खारिज की, बल्कि निचली अदालत को यह आदेश भी दिया कि वह इस मामले की सुनवाई में तेजी लाए ताकि सच जल्द से जल्द सामने आ सके. यह फैसला इस बात का साफ इशारा है कि जमीन घोटाले में जांच एजेंसियां अब बड़ी मछलियों पर अपना शिकंजा पूरी तरह से कस रही हैं.

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