Rajasthan Violence: हनुमानगढ़ में बवाल पुलिस की लाठियों से बचने के लिए गुरुद्वारे में छिपे लोग

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News India Live, Digital Desk: राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में पिछले कुछ दिनों से जो शांति थी, वो अचानक शोर और हंगामे में बदल गई है। मुद्दा वही पुराना है इथेनॉल फैक्ट्री (Ethanol Factory) का विरोध लेकिन इस बार बात हद से ज्यादा बिगड़ गई है। हालात ऐसे बन गए हैं कि पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है।

जो खबर सबसे ज्यादा हैरान करने वाली और भावुक कर देने वाली है, वो यह कि पुलिस की सख्ती से बचने के लिए प्रदर्शनकारी ग्रामीणों को गुरुद्वारे (Gurdwara) में जाकर पनाह लेनी पड़ी।

आखिर हुआ क्या था मौके पर?

दरअसल, संगरिया (Sangaria) इलाके के पास लोग एक निर्माणाधीन इथेनॉल फैक्ट्री का विरोध कर रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि इस फैक्ट्री से इलाके का पानी और हवा दूषित होगी, जो उनकी खेती और सेहत दोनों को बर्बाद कर देगी। यह आंदोलन लंबे समय से चल रहा था, लेकिन पुलिस प्रशासन फैक्ट्री का काम दोबारा शुरू करवाने पहुंचा था।

बस फिर क्या था, प्रशासन की सख्ती देख लोग भड़क गए। दोनों तरफ से तनाव बढ़ा। आरोप है कि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग (Lathi Charge) किया। इसके जवाब में पथराव की खबरें भी आईं।

जब गुरुद्वारा बना शरणस्थली

महौल बिगड़ता देख और पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए सैकड़ों प्रदर्शनकारी, जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे, पास के ही एक गुरुद्वारे में जा घुसे। उनका कहना था कि बाहर पुलिस उन्हें दौड़ा रही थी, इसलिए "गुरु के घर" के अलावा उन्हें कोई सुरक्षित जगह नहीं दिखी। घंटों तक गुरुद्वारे के बाहर पुलिस का पहरा रहा और अंदर सहमे हुए लोग बैठे रहे। यह मंजर देखकर हर किसी का दिल पसीज गया।

इलाके में इंटरनेट और रास्ता बंद?

तनाव को देखते हुए प्रशासन ने सख्ती और बढ़ा दी है। ऐसी ख़बरें हैं कि अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक लगाई गई और कई रास्तों को ब्लॉक कर दिया गया है। पुलिस के बड़े अधिकारी मौके पर कैंप किए हुए हैं।

ग्रामीणों का साफ कहना है "जान दे देंगे, लेकिन फैक्ट्री नहीं लगने देंगे।" वहीं प्रशासन कानून-व्यवस्था बनाए रखने की दुहाई दे रहा है।

फिलहाल, वहां एक अजीब सी खामोशी है तूफ़ान से पहले वाली खामोशी। एक तरफ विकास का दावा है तो दूसरी तरफ अपनी जमीन और पर्यावरण को बचाने की जिद। देखना होगा कि सरकार इस सुलगते हुए मामले को शांत करने के लिए क्या कदम उठाती है। हम तो यही उम्मीद करते हैं कि मामला बातचीत से सुलझ जाए और किसी भी आम आदमी या जवान को नुकसान न पहुंचे।

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