Rajasthan : केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने खैरथल तिजारा जिले के नामकरण का किया बचाव, कांग्रेस पर साधा निशाना

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News India Live, Digital Desk: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने हाल ही में राजस्थान के नवगठित खैरथल-तिजारा जिले के नाम को लेकर चल रहे विवाद का खुलकर बचाव किया है. इस मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचनाओं का जवाब देते हुए उन्होंने तर्क दिया कि यह नाम ऐतिहासिक और भौगोलिक प्रासंगिकता पर आधारित है, और इसका कोई राजनीतिकरण नहीं किया गया है. उन्होंने कांग्रेस पर इतिहास और विरासत की उपेक्षा करके वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया.

तिजारा क्षेत्र में भूमि पूजन समारोह के दौरान मंत्री भूपेंद्र यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी जानबूझकर नामकरण के मुद्दों को राजनीतिक रंग दे रही है, जबकि वास्तव में यह प्राचीन भारतीय विरासत को सम्मान देने का एक प्रयास है. उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा, "इनकी आदत तुष्टिकरण करने की रही है. अपनी विरासत को नकारने का काम इनके लिए सामान्य रहा है. लेकिन अगर विरासत को पहचान देना तुष्टिकरण है तो निश्चित रूप से आज भारतीय जनता पार्टी, विरासत के लिए लड़ रही है." यादव ने इस बात पर जोर दिया कि बीजेपी के लिए यह आस्था और संस्कृति से जुड़ा मुद्दा है, किसी तरह की राजनीति नहीं.

भूपेंद्र यादव ने नामकरण के पीछे के तर्कों को स्पष्ट करते हुए कहा कि 'तिजारा' एक ऐतिहासिक स्थान रहा है, और यह कोई नई बात नहीं है कि कोई महत्वपूर्ण तहसील या उपखंड एक बड़े जिले के हिस्से के रूप में नाम में शामिल हो. उन्होंने उदाहरण दिया कि जयपुर के दो जिले- जयपुर शहर और जयपुर ग्रामीण हैं. इसी तरह खैरथल एक महत्वपूर्ण उपखंड मुख्यालय है और तिजारा के लोग ही इसकी मांग कर रहे थे कि खैरथल को इसमें शामिल किया जाए. उन्होंने कहा, "यह सिर्फ कागजी कार्रवाई नहीं है, यह एक भावनात्मक और सांस्कृतिक कदम है, जहां स्थानीय भावनाओं और पहचान का सम्मान किया जा रहा है."

यह विवाद तब शुरू हुआ जब राजस्थान में नए जिलों का गठन किया गया और इनमें से एक को 'खैरथल-तिजारा' नाम दिया गया. कांग्रेस नेताओं ने इस नामकरण पर आपत्ति जताई थी और तर्क दिया था कि यह स्थानीय आबादी की इच्छा के विरुद्ध है और बीजेपी इसे 'राजनीतिककरण' कर रही है. हालांकि, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने बयान से साफ कर दिया कि उनकी पार्टी इन आरोपों को खारिज करती है और इस नामकरण को भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक स्थलों के पुनर्स्थापन की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानती है, जो उस औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करता है जिसने कई भारतीय शहरों और क्षेत्रों के मूल नामों को विकृत किया था.
 

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