Rajasthan History : कुम्भलगढ़, वह किला जहां जन्मा एक महायोद्धा और जो बना इंसानी बलिदान से
- by Archana
- 2025-08-13 14:34:00
Newsindia live,Digital Desk: अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों के शिखर पर स्थित, कुम्भलगढ़ का विशाल किला सिर्फ पत्थर और चूने का एक ढांचा नहीं, बल्कि मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास, शौर्य और बलिदान का एक जीवंत प्रतीक है। यह वह भूमि है जहां वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने जन्म लिया और यह वही किला है जिसे चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार घेरे हुए है।
इस किले का निर्माण मेवाड़ के महान शासक महाराणा कुम्भा ने करवाया था, लेकिन इसका निर्माण आसान नहीं था। एक किंवदंती के अनुसार, जब किले की दीवार बनाने के सारे प्रयास विफल हो रहे थे, तब एक संत ने राजा को सलाह दी कि इस निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एक स्वैच्छिक मानव बलिदान की आवश्यकता होगी। कहा जाता है कि एक सैनिक ने राष्ट्रहित में अपना जीवन बलिदान कर दिया, और उसी के बाद इस अजेय दुर्ग की नींव रखी जा सकी।
कुम्भलगढ़ की सबसे बड़ी पहचान इसकी विशाल दीवार है, जो लगभग छत्तीस किलोमीटर तक फैली हुई है। यह दीवार इतनी चौड़ी है कि इस पर एक साथ कई घुड़सवार चल सकते हैं। इस दीवार के भीतर कई मंदिर, महल और पानी के स्रोत हैं, जो इसे एक आत्मनिर्भर किला बनाते थे।
यह दुर्ग उस महान योद्धा महाराणा प्रताप की जन्मस्थली भी है, जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर के सामने कभी घुटने नहीं टेके। किले के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित 'बादल महल' में ही उनका जन्म हुआ था। यही कारण है कि इस किले का कण-कण आज भी प्रताप के शौर्य की गाथा गाता प्रतीत होता है।
अपने रणनीतिक महत्व और मजबूत बनावट के कारण कुम्भलगढ़ को एक अजेय किला माना जाता था। इतिहास में इसे सीधे युद्ध में कभी नहीं जीता जा सका। केवल एक बार जब किले के पानी के स्रोत में जहर मिला दिया गया, तब इसे धोखे से जीता गया था। आज यह किला यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है और अपनी भव्यता और ऐतिहासिक कहानियों से दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
--Advertisement--
Tags:
Share:
--Advertisement--