Rajasthan Government : सड़क के इन बेजुबानों की भी किसी ने सुनी,बदल गया कुत्तों को पकड़ने का पूरा कानून

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Newsindia live,Digital Desk: अगर आपके शहर या मोहल्ले में भी आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या एक समस्या है, तो यह खबर आपको राहत भी देगी और जानवरों के प्रति सरकार के बदलते नजरिए को देखकर अच्छा भी महसूस कराएगी। राजस्थान सरकार ने राज्य में आवarah कुत्तों के प्रबंधन और उनकी नसबंदी (Sterilization) को लेकर अब तक के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

अब कुत्तों को क्रूरता से जाल में फंसाकर या घसीटकर नहीं ले जाया जाएगा, बल्कि पूरी प्रक्रिया को ज्यादा मानवीय, वैज्ञानिक और सुरक्षित बनाया गया है, ताकि इंसानों और जानवरों, दोनों की भलाई हो सके।

अब नहीं दिखेगा क्रूरता का वो नजारा

आपने अक्सर नगर निगम की गाड़ियों को आवारा कुत्तों को लोहे के जाल में बेरहमी से फंसाकर ले जाते हुए देखा होगा, जिसमें कुत्ते अक्सर घायल हो जाते हैं और बुरी तरह डर जाते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

'हैंड कैचिंग' से पकड़े जाएंगे कुत्ते: नई गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि कुत्तों को पकड़ने के लिए अब 'फ्री हैंड कैचिंग' या 'हैंड कैचING' तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मतलब है कि ट्रेंड वर्कर उन्हें प्यार से और बिना डराए-धमकाए पकड़ेंगे। जाल का इस्तेमाल सिर्फ उन्हीं कुत्तों के लिए किया जाएगा जो बहुत आक्रामक हों और जिन्हें पकड़ना मुश्किल हो।

एक केज में एक ही कुत्ता: पकड़ने के बाद गाड़ी में भी उन्हें ठूंस-ठूंस कर नहीं भरा जाएगा। एक केज (पिंजरे) में सिर्फ एक ही कुत्ते को रखा जाएगा ताकि वे आपस में लड़कर घायल न हों।

कैसा होगा 'डॉग स्टरलाइजेशन सेंटर'?

सरकार ने सिर्फ पकड़ने का तरीका ही नहीं, बल्कि नसबंदी केंद्रों (ABC सेंटर्स) के लिए भी कड़े नियम बनाए हैं, ताकि ऑपरेशन के दौरान और बाद में कुत्तों का पूरा ध्यान रखा जा सके।

सीसीटीवी अनिवार्य: हर सेंटर पर अब सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा, ताकि पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी जा सके।

एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं: इन सेंटरों में ऑपरेशन थियेटर, ऑपरेशन से पहले और बाद में कुत्तों को रखने के लिए अलग-अलग हवादार कमरे, पानी की उचित व्यवस्था और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

देखभाल है पहली शर्त: ऑपरेशन के बाद कुत्ते को 3 से 4 दिन तक सेंटर की निगरानी में रखा जाएगा। जब वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा, तभी उसे वापस छोड़ा जाएगा।

पहचान और सुरक्षा

एंटी-रेबीज टीका: हर कुत्ते को नसबंदी के साथ ही एंटी-रेबीज का टीका लगाना भी अनिवार्य होगा, ताकि रेबीज का खतरा खत्म हो सके।

कान पर लगेगा कट: ऑपरेशन के बाद कुत्ते की पहचान के लिए उसके कान पर एक छोटा 'V' आकार का निशान (Ear Notching) बनाया जाएगा, ताकि पता चल सके कि उसकी नसबंदी हो चुकी है और उसे दोबारा न पकड़ा जाए।

जहां से उठाया, वहीं छोड़ेंगे: सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि कुत्ते को उसी इलाके में वापस छोड़ा जाएगा, जहां से उसे पकड़ा गया था, ताकि वह अपने gewohnten माहौल में रह सके।

इसके अलावा, आम लोगों की शिकायतों के लिए एक शिकायत निवारण प्रणाली भी बनाई जाएगी, ताकि लोग कुत्तों से जुड़ी किसी भी समस्या की जानकारी सीधे अधिकारियों तक पहुंचा सकें। यह नई गाइडलाइन न सिर्फ कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करेगी, बल्कि यह समाज में जानवरों के प्रति दया और सम्मान का भाव भी पैदा करेगी।

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