Rajasthan Election : अब मंत्री को देगा टक्कर, कौन है यह मोरपाल सुमन, जिस पर बीजेपी ने खेला है सबसे बड़ा दांव?
News India Live, Digital Desk: राजनीति में कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता. यहाँ कभी बड़े-बड़े सूरमाओं के टिकट कट जाते हैं, तो कभी एक साधारण सा कार्यकर्ता सीधे चुनावी रण के बीचों-बीच खड़ा कर दिया जाता है. राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर बीजेपी ने कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला फैसला लिया है.
यहाँ कांग्रेस के दिग्गज नेता और मंत्री प्रमोद जैन भाया के सामने बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर एक ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा है, जिसका नाम सुनकर हर कोई पूछ रहा है - "आखिर यह मोरपाल सुमन हैं कौन?"
कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं
मोरपाल सुमन की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. वह किसी बड़े राजनीतिक घराने से नहीं आते. उनके पिता एक साधारण किसान थे और मोरपाल का बचपन खेतों में काम करते और संघर्षों के बीच बीता है. उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर पढ़ाई की और बीए, एलएलबी तक की डिग्री हासिल की.
पोस्टर लगाने से टिकट पाने तक का सफर
आज भले ही वह मंत्री को टक्कर देने जा रहे हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक यात्रा सड़क पर पोस्टर लगाने से शुरू हुई थी. वह सालों से बीजेपी के एक वफादार और मेहनती सिपाही की तरह काम करते रहे.
- उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से की.
- इसके बाद वह बीजेपी युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने और युवाओं को पार्टी से जोड़ा.
- लंबे समय तक वह जिले में पार्टी के महामंत्री (General Secretary) रहे.
मोरपाल सुमन ने कभी भी सीधे तौर पर कोई बड़ा चुनाव नहीं लड़ा. वह पर्दे के पीछे रहकर पार्टी की जड़ें मजबूत करने वाले उन गुमनाम कार्यकर्ताओं में से एक थे, जो सिर्फ दरी बिछाते हैं और नारे लगाते हैं.
तो फिर बीजेपी ने उन पर इतना बड़ा दांव क्यों खेला?
अब सवाल यह उठता है कि एक मंत्री के खिलाफ, अपने ही विधायक का टिकट काटकर, बीजेपी ने एक साधारण कार्यकर्ता को क्यों चुना? इसके पीछे बीजेपी की एक बहुत गहरी और सोची-समझी रणनीति है.
- साफ-सुथरी छवि: मोरपाल सुमन की छवि बिल्कुल बेदाग है. उन पर आज तक कोई आरोप नहीं लगा.
- जमीनी पकड़: सालों तक संगठन में काम करने की वजह से उनकी गांव-गांव और ढाणी-ढाणी तक सीधी पकड़ है. वह हर कार्यकर्ता को नाम से जानते हैं.
- जातिगत समीकरण: यह सबसे बड़ा कारण है. मोरपाल सुमन धाकड़ समाज से आते हैं, जो बारां और अंता इलाके का एक बहुत बड़ा और প্রভাবশালী ओबीसी वोट बैंक है. बीजेपी को लगता है कि मोरपाल इस वोट बैंक को सीधे अपनी तरफ खींच सकते हैं.
- कार्यकर्ताओं को संदेश: यह फैसला उन लाखों कार्यकर्ताओं के लिए एक संदेश है कि अगर आप पार्टी के लिए ईमानदारी से काम करेंगे, तो एक दिन पार्टी आपको सबसे बड़ा इनाम भी देगी.
बीजेपी ने अंता की इस हाई-प्रोफाइल सीट पर एक 'जमीनी' लड़ाई लड़ने का फैसला किया है. एक तरफ कांग्रेस के कद्दावर मंत्री प्रमोद जैन भाया हैं, तो दूसरी तरफ एक साधारण किसान का बेटा, जिसके पास सिवाय अपनी मेहनत और साफ छवि के, खोने के लिए कुछ नहीं है. यह लड़ाई अब राजस्थान की सबसे दिलचस्प लड़ाइयों में से एक बन गई है.
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