Politics Heats up in Bihar NDA: जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान को दी बड़ी सलाह
Newsindia live,Digital Desk: Politics Heats up in Bihar NDA: बिहार की राजनीति में लोकसभा चुनाव से पहले सीट बंटवारे और गठबंधन को लेकर जारी गहमागहमी के बीच, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर के संरक्षक जीतन राम मांझी ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक सलाह दी है। मांझी ने साफ शब्दों में कहा है कि चिराग पासवान को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ ही बने रहना चाहिए।
बिहार के वरिष्ठ राजनेता जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान को दो टूक सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें एनडीए के साथ ही रहना चाहिए। मांझी के अनुसार, ऐसा करना चिराग के राजनीतिक भविष्य के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जब आगामी चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए के भीतर चर्चाएँ तेज हैं और चिराग पासवान अपनी पार्टी के लिए मजबूत हिस्सेदारी चाहते हैं। मांझी का यह संदेश चिराग के लिए एक 'शुभचिंतक' वाली चेतावनी भी है।
मांझी ने अपनी बात के समर्थन में कहा कि जिन राजनीतिक दलों या नेताओं ने अतीत में एनडीए का साथ छोड़ा, उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। यह बात उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कही, लेकिन इसका स्पष्ट संकेत था कि चिराग को इस बात पर गौर करना चाहिए। उनका तर्क है कि एनडीए एक मजबूत और स्थिर गठबंधन है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं, ऐसे में इससे बाहर रहना सियासी तौर पर नुकसानदायक हो सकता है।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। चिराग पासवान अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए सम्मानजनक सीटों की मांग कर रहे हैं, जो उनकी पिछली पारिवारिक फूट और अपने चाचा पशुपति पारस की पार्टी के भी एनडीए में होने के कारण और जटिल हो गई है। ऐसे में मांझी की सलाह चिराग के लिए एक विकल्प प्रस्तुत करती है, जहाँ वह एनडीए के भीतर रहकर अपनी मांगों पर दबाव बना सकते हैं।
जीतन राम मांझी खुद भी एनडीए के एक महत्वपूर्ण सहयोगी हैं, खासकर दलित और महादलित समुदाय में उनका प्रभाव है। उनका चिराग को यह सलाह देना एनडीए की अंदरूनी एकता को मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। यह दिखाता है कि बीजेपी और उसके सहयोगी दल चिराग को गठबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं और नहीं चाहते कि किसी भी तरह की दरार पड़े, जिसका फायदा विरोधी दल उठा सकें।
अब सबकी निगाहें चिराग पासवान पर होंगी कि वह जीतन राम मांझी की इस सलाह पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या वे एनडीए के साथ बने रहेंगे और अपनी मांगों को गठबंधन के भीतर से मनवाने की कोशिश करेंगे, या फिर कोई दूसरा विकल्प तलाशेंगे? बिहार की चुनावी बिसात पर चिराग का अगला कदम ही बताएगा कि उनके राजनीतिक भविष्य की दिशा क्या होगी और इसका बिहार के आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ेगा।
--Advertisement--