PM Modi in Udupi : एक भक्त के लिए भगवान ने भी बदल दी अपनी दिशा ,जानिए उडुपी के श्री कृष्ण मंदिर का रहस्य

Post

News India Live, Digital Desk : अगर आप कभी दक्षिण भारत के कर्नाटक गए हैं, तो उडुपी (Udupi) का नाम जरूर सुना होगा। आज पूरा देश इस शहर की चर्चा कर रहा है क्योंकि यहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे हैं और 'लक्ष कंठ गीता पाठ' (एक लाख लोगों द्वारा गीता पाठ) का आयोजन हो रहा है। सोचिए, एक साथ एक लाख आवाजें जब 'भगवद गीता' के श्लोक बोलेंगी, तो वहां का माहौल कैसा होगा!

लेकिन, क्या आपको पता है कि पीएम मोदी ने यहाँ भगवान कृष्ण के दर्शन सीधे सामने से नहीं, बल्कि एक छोटी सी खिड़की से किए हैं? जी हाँ, इसके पीछे एक रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी है।

भगवान कृष्ण की पीठ? ऐसा कैसे?
आमतौर पर आप दुनिया के किसी भी मंदिर में जाएं, तो भगवान का मुख पूरब (East) की ओर होता है और आप सामने से दर्शन करते हैं। लेकिन उडुपी के श्री कृष्ण मठ में भगवान का मुख पश्चिम (West) की तरफ है और भक्त एक नौ छेदों वाली खिड़की (Window) से झांककर उनके दर्शन करते हैं।

इस खिड़की को 'कनकन खिंडी' (Kanakana Kindi) कहते हैं।

भक्त कनकदास की वो जिद
बात सदियों पुरानी है। एक बहुत बड़े भक्त हुए कनकदास। वो भगवान कृष्ण के बहुत बड़े दीवाने थे। वो उडुपी आए तो सही, लेकिन उस जमाने की ऊंच-नीच और जाति-प्रथा की वजह से पुजारियों ने उन्हें मंदिर के अंदर घुसने नहीं दिया। उन्हें धक्के देकर बाहर कर दिया गया।

कनकदास का दिल टूट गया, पर विश्वास नहीं। वो मंदिर के पिछवाड़े में बैठ गए और अपनी वीणा लेकर भगवान को पुकारने लगे। वो बस यही गा रहे थे कि "हे कृष्णा, अगर तुम हो, तो मुझे दर्शन दो।"

...और हो गया चमत्कार!
कहते हैं कि कनकदास की पुकार इतनी सच्ची थी कि मंदिर की वो पीछे की पत्थर वाली दीवार में दरार पड़ गई। और इतना ही नहीं, जो कृष्ण की मूर्ति पूर्व की तरफ देख रही थी, वो अपने भक्त कनकदास को दर्शन देने के लिए अपने आप पश्चिम की तरफ घूम गई!

भगवान ने उस दरार (जो बाद में खिड़की बनी) से कनकदास को दर्शन दिए। जब पुजारियों ने यह चमत्कार देखा, तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने उस जगह को सम्मान दिया और उसे 'कनकन खिंडी' का नाम दिया।

आज भी जारी है परंपरा
आज सैकड़ों साल बाद भी परंपरा वही है। चाहे आम आदमी हो या देश का प्रधानमंत्री, हर किसी को भगवान कृष्ण के दर्शन उसी 'खिड़की' से करने पड़ते हैं। आज जब पीएम मोदी ने वहाँ मत्था टेका, तो वही ऐतिहासिक कहानी फिर से जी उठी।

उडुपी का यह मंदिर सिर्फ आस्था की जगह नहीं है, यह सुबूत है कि भगवान के लिए न कोई अमीर है, न गरीब, न कोई जाति—वहाँ सिर्फ 'भाव' देखा जाता है।

तो अगली बार जब भी कर्नाटक जाने का प्लान बने, तो उडुपी जाकर उस खिड़की से झांकना मत भूलिएगा, जहाँ भगवान आज भी अपने भक्त की राह देख रहे हैं।

--Advertisement--