Piyush Goyal US visit : भारत-US ट्रेड डील पर बड़ी खबर ,क्या डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से भारतीयों की नौकरी पर मंडराएगा खतरा?
News India Live, Digital Desk: Piyush Goyal US visit : भारत और अमेरिका, दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, अपने व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। इसी सिलसिले में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल 22 सितंबर को अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरे का मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना और कुछ पुराने अटके हुए मुद्दों को सुलझाना है।
अच्छी खबर यह है कि दोनों देशों ने आपसी सहमति से विश्व व्यापार संगठन (WTO) में एक-दूसरे के खिलाफ चल रहे 6 विवादों को खत्म कर दिया है। इसका सीधा फायदा आम लोगों और व्यापारियों को मिलने लगा है। अमेरिका ने भारत से आने वाले स्टील और एल्यूमीनियम जैसे कुछ उत्पादों पर लगने वाले अतिरिक्त टैक्स को हटा दिया है, तो वहीं भारत ने भी अमेरिका से आने वाले सेब, बादाम और दाल जैसे करीब 8 उत्पादों पर से जवाबी टैरिफ हटा लिया है।
यह कदम दोनों देशों के बीच एक बड़ी "ट्रेड डील" की तरफ सकारात्मक संकेत है।
लेकिन असली चिंता की वजह कुछ और है - ट्रंप और H1-B वीज़ा
एक तरफ जहां व्यापारिक मोर्चे पर सब कुछ अच्छा दिख रहा है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के राजनीतिक माहौल ने भारतीय पेशेवरों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर मैदान में हैं। आपको याद होगा कि ट्रंप अपने पिछले कार्यकाल में H1-B वीज़ा को लेकर काफी सख्त थे।
क्या है H1-B वीज़ा और यह भारतीयों के लिए क्यों है इतना ज़रूरी?
H1-B वीज़ा एक नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को नौकरी पर रखने की इजाजत देता है, खासकर टेक्नोलॉजी और आईटी सेक्टर में। भारत के हजारों टैलेंटेड युवा इंजीनियर, डॉक्टर और वैज्ञानिक इसी वीज़ा के जरिए अमेरिका में काम करने और अपने सपनों को पूरा करने जाते हैं। यह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
ट्रंप की वापसी से क्यों है डर?
डोनाल्ड ट्रंप "अमेरिका फर्स्ट" की नीति पर चलते हैं। उनका मानना है कि अमेरिकी नौकरियां सबसे पहले अमेरिकियों को ही मिलनी चाहिए। अपने पिछले कार्यकाल में उन्होंने H1-B वीज़ा के नियमों को काफी सख्त कर दिया था, जिसके चलते कई भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरी पाना और टिके रहना मुश्किल हो गया था। उन्होंने वीज़ा आवेदन की प्रक्रिया को जटिल बना दिया था और कई आवेदनों को खारिज भी किया गया था।
अब अगर ट्रंप चुनाव जीतकर वापस आते हैं, तो यह डर जताया जा रहा है कि वे H1-B वीज़ा पॉलिसी को और भी सख्त कर सकते हैं। वे वीज़ा की संख्या को सीमित कर सकते हैं या फिर कंपनियों के लिए विदेशी कर्मचारियों को नौकरी देना और महंगा बना सकते हैं।
भारत के लिए क्या हैं मायने?
- भारतीय पेशेवरों पर असर: अगर H1-B वीज़ा नियम सख्त होते हैं, तो अमेरिका जाने वाले भारतीय पेशेवरों की संख्या में भारी कमी आ सकती है।
- ट्रेड डील पर असर: भले ही व्यापार और वीज़ा दो अलग-अलग मुद्दे लगें, लेकिन इनका आपस में गहरा कनेक्शन है। अगर अमेरिका भारतीय पेशेवरों के लिए दरवाजे बंद करता है, तो इसका असर दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों की गर्मजोशी पर भी पड़ सकता है।
फिलहाल, पीयूष गोयल का अमेरिका दौरा व्यापारिक रिश्तों को सुधारने पर केंद्रित है, लेकिन H1-B वीज़ा का मुद्दा भी कहीं न कहीं बातचीत का एक अनकहा हिस्सा जरूर रहेगा। भारत चाहेगा कि उसके कुशल पेशेवरों को अमेरिका में काम करने के मौके मिलते रहें, वहीं अमेरिका की भावी राजनीति यह तय करेगी कि यह राह कितनी आसान या मुश्किल होगी।
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