Pitru Paksha 2025 : भूलकर भी न करें इन 15 दिनों में इन चीजों का सेवन, पितर हो सकते हैं नाराज
News India Live, Digital Desk: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह वह 15 दिन का समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में हमारे पितर धरती पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों से अन्न-जल ग्रहण करते हैं.
इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर 2025 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2025 तक चलेगा. शास्त्रों में इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है, खासकर खान-पान को लेकर. मान्यता है कि इन नियमों का पालन न करने से पितर नाराज हो सकते हैं और व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि श्राद्ध के इन दिनों में हमें किन चीजों को खाने से बचना चाहिए.
पितृ पक्ष में भूलकर भी न खाएं ये चीजें:
- लहसुन और प्याज: इन्हें तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है. माना जाता है कि ये उत्तेजना और अशुद्धि पैदा करते हैं. पितरों को अर्पित किया जाने वाला भोजन पूरी तरह सात्विक होना चाहिए, इसलिए इन दिनों में घर पर लहसुन-प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
- मांस और मदिरा: पितृ पक्ष के दौरान मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन करना पाप माना गया है. यह पितरों के प्रति अनादर का भाव दर्शाता है और इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
- कच्चा अनाज: इन दिनों में कच्चा अनाज जैसे चावल, दाल या आटा सीधे नहीं खाया जाता है. हमेशा भोजन पकाकर ही ग्रहण करना चाहिए. पितरों को भी पका हुआ भोजन ही अर्पित किया जाता है.
- मसूर की दाल: मसूर की दाल को अशुद्ध माना जाता है, इसलिए श्राद्ध पक्ष में इसका सेवन वर्जित है. इसकी जगह आप मूंग या अरहर की दाल का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- बाहर का खाना: पितृ पक्ष के दौरान घर की शुद्धता और पवित्रता बनाए रखना बहुत जरूरी है. इसलिए इन 15 दिनों में बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए.
खान-पान के अलावा इन नियमों का भी रखें ध्यान:
- श्राद्ध पक्ष में घर में शांति का माहौल बनाकर रखें. लड़ाई-झगड़े से बचें.
- कोई भी नया काम, जैसे गृह प्रवेश, मुंडन या नई चीज खरीदना, इन दिनों में शुभ नहीं माना जाता.
- इन दिनों में बाल और नाखून काटने की भी मनाही होती है.
पितृ पक्ष आत्म-अनुशासन और अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का समय है. इन सरल नियमों का पालन करके हम न केवल अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं, बल्कि उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख-शांति भी ला सकते हैं.
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