Dhanbad Gas Leak Tragedy : खदान में हड़कंप, जहरीली गैस की चपेट में आने से दो महिलाओं की दर्दनाक मौत
News India Live, Digital Desk : Dhanbad Gas Leak Tragedy : झारखंड के धनबाद जिले को हम देश की ऊर्जा राजधानी कहते हैं क्योंकि यहाँ से निकला कोयला पूरे देश के घरों को रोशन करता है। लेकिन, इस रोशनी के पीछे कितना अंधेरा है, इसका अंदाजा आज की इस दर्दनाक घटना से लगाया जा सकता है।
धनबाद के कोयलांचल इलाके से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहाँ धरती के नीचे से रिस रही जहरीली गैस (Poisonous Gas Leakage) ने दो महिलाओं की जान ले ली है। यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि उस लाचारी की कहानी है जो गरीबों को मौत के मुमकिन कुएं में उतरने पर मजबूर करती है।
आखिर हुआ क्या था?
यह घटना धनबाद के निरसा या झरिया (अवैध खनन के लिए कुख्यात इलाके) क्षेत्र की बताई जा रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, गांव की कुछ महिलाएं अपनी आजीविका चलाने के लिए बंद पड़ी या अवैध खदानों (Illegal Mines) के मुहाने पर कोयला चुनने गई थीं। यह इनका रोज का काम है सुबह जाना और अपनी जान जोखिम में डालकर थोड़ा सा कोयला लाना ताकि उसे बेचकर शाम का चूल्हा जल सके।
लेकिन आज किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। जैसे ही वे खदान के करीब या भूमिगत रास्ते में गईं, वहां अचानक जहरीली गैस (Carbon Monoxide/Methane) का रिसाव हो गया। गैस इतनी तेज थी कि उन्हें संभलने या भागने का मौका भी नहीं मिला। दम घुटने से उनकी वहीं मौत हो गई।
बचने की कोशिश नाकाम रही
आसपास मौजूद लोगों ने जब हलचल देखी तो उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन जहरीली गैस का असर इतना ज्यादा था कि कोई पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। जब तक उन्हें बाहर निकाला गया, तब तक उनकी सांसें थम चुकी थीं।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका?
हमेशा की तरह, हादसा होने के बाद पुलिस और सीआईएसएफ (CISF) की टीम मौके पर पहुंची। लेकिन दोस्तों, कड़वी सच्चाई यह है कि यह 'अवैध खनन' का धंधा प्रशासन की नाक के नीचे सालों से चल रहा है। जब भी कोई हादसा होता है, तो थोड़ी दौड़-भाग होती है, फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। इस हादसे के बाद भी परिजनों पर दबाव और मामले को दबाने की कोशिशों की चर्चा आम है।
"काला हीरा" या "काला कफन"?
यह सवाल पूछना लाजमी है कि आखिर गरीबों की जान इतनी सस्ती क्यों है? एक बोरी कोयले की कीमत दो जान से ज्यादा कैसे हो सकती है? यह हादसा बताता है कि जब तक रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे, लोग ऐसे ही जानलेवा रिस्क लेते रहेंगे।
फिलहाल, पीड़ित परिवारों में चीख-पुकार मची है। किसी का मां छिन गई, तो किसी के घर की लक्ष्मी चली गई। हम सिर्फ प्रार्थना कर सकते हैं कि भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
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