पवन वर्मा को प्रो. रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया

जम्मू, 16 अप्रैल (हि.स.)। डोगरी संस्था जम्मू ने पद्मश्री प्रो. रामनाथ शास्त्री के परिवार के सदस्यों के सहयोग से युवा डोगरी कवि पवन वर्मा को उनके डोगरी कविता संग्रह ‘जो कत्तेआ सो माहल्लें’ के लिए प्रतिष्ठित प्रो. रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार-2024 से डोगरी भवन, डोगरी संस्था कर्ण नगर जम्मू में सादे लेकिन एक प्रभावशाली समारोह का आयोजन करके सम्मानित किया।

सुरेश कुमार गुप्ता (आईएफएस) प्रमुख सचिव, संस्कृति विभाग,केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे, जबकि डोगरी संस्था जम्मू के प्रधान प्रोफेसर ललित मगोत्रा ने समारोह की अध्यक्षता की। डोगरी साहित्य के पितामह की स्मृति में 2014 में शुरू किए गए इस पुरस्कार में 21,000 का नकद पुरस्कार, एक शॉल और एक स्मृति चिन्ह दिया जाता है। यह पुरस्कार हर वर्ष एक डोगरी लेखक को पिछले पांच वर्षों में लिखी गई उनकी पहली पुस्तक के लिए प्रो. रामनाथ शास्त्री कै जन्मदिन 15 अप्रैल को दिया जाता है।

इस अवसर पर बोलते हुए सुरेश कुमार गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से युवा पीढ़ी अपनी मातृभाषा डोगरी से जुड़ रही है और पवन वर्मा जैसे युवा कवि दूसरों को अपनी मातृभाषा में रचनात्मक कार्य लिखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, यह उज्ज्वल भविष्य का संकेत है। इससे पहले प्रो. ललित मगोत्रा ने अपने स्वागत भाषण में ऐसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के महत्व के बारे में बात की जो बहुत प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि संस्था की स्थापना प्रो.रामनाथ शास्त्री ने पांच अन्य लोगों के साथ मिलकर मातृभाषा डोगरी को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए की थी और यह प्रयास पिछले लगभग 80 वर्षों से निरंतर चल रहे हैं। डोगरी संस्था जम्मू की उपाध्यक्ष प्रो. वीणा गुप्ता ने पवन वर्मा के कार्यों पर प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर पुरस्कार विजेता पवन वर्मा ने भी अपनी साहित्यिक यात्रा सांझा की और पुस्तक से कुछ कविताएँ सुनाईं। कार्यक्रम का संचालन सुशील बेगाना ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए डोगरी संस्था जम्मू के महासचिव राजेश्वर सिंह ‘राजू’ ने कहा कि शास्त्री जी का जीवन संघर्ष से भरा था लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को मातृभाषा के संघर्ष पर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने आंदोलन का नेतृत्व किया और अन्य लोगों ने उनका अनुसरण किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकारों, साहित्य प्रेमियों, प्रो. रामनाथ शास्त्री के दोनों बेटे अजीत खजूरिया, दिनेश खजूरिया, उनके और पवन वर्मा के परिवार के सदस्य भी शामिल थे।