पटना पुलिस की मजबूरी या नई तैयारी? SSP ने मांग ली 5 एकड़ जमीन, जानिये क्या है असली माजरा

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News India Live, Digital Desk : अगर आप पटना (Patna) में रहते हैं, तो आपने एक चीज़ जरूर नोटिस की होगी। जब भी हम किसी थाने (Police Station) के सामने से गुजरते हैं, तो वहां जब्त की गई बाइकों, कारों और ऑटो का एक पहाड़ खड़ा दिखाई देता है। आलम यह है कि कई थानों के पास तो अब अपराधियों को खड़ा करने की जगह कम और गाड़ियों का कबाड़ ज्यादा है।

इसी पुरानी समस्या का हमेशा के लिए हल निकालने के लिए अब पटना के नए और एक्टिव एसएसपी, कार्तिकेय शर्मा (SSP Kartikey Sharma) ने कमर कस ली है।

साहब पहुंचे कमिश्नर के पास

खबर है कि एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने हाल ही में पटना के प्रमंडलीय आयुक्त (Commissioner) के साथ एक ज़रूरी बैठक की। मुद्दा बहुत सीधा लेकिन गंभीर था जमीन की भारी किल्लत। एसएसपी ने प्रशासन से 5 एकड़ जमीन की मांग की है। अब आप सोच रहे होंगे कि पुलिस को खेती तो करनी नहीं है, फिर इतनी जमीन क्यों?

समस्या: 'सबूत' रखें या खुद रहें?

दरअसल, पटना पुलिस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द 'मालखाना' (Malkhana) बन गया है। जब भी पुलिस शराब तस्करों, एक्सीडेंट या चोरी के मामलों में गाड़ियां पकड़ती है, तो उन्हें सबूत के तौर पर रखना पड़ता है। कानूनी प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि ये गाड़ियां थानों में खड़े-खड़े कबाड़ बन जाती हैं।

हालात ये हैं कि:

  1. थानों में जगह नहीं: कई थानों के परिसर इन गाड़ियों से अंटे पड़े हैं।
  2. सड़कें जाम: जब थाने के अंदर जगह भर जाती है, तो गाड़ियां बाहर सड़क पर खड़ी करनी पड़ती हैं, जिससे जाम लगता है और आम पब्लिक परेशान होती है।
  3. मेंटेनेंस का अभाव: खुले में पड़ी-पड़ी करोड़ों की गाड़ियां मिट्टी में मिल रही हैं।

प्लान: एक सेंट्रल 'डंपिंग यार्ड'

एसएसपी का विज़न साफ है। वे चाहते हैं कि शहर के बाहरी इलाके में एक बड़ी सी जगह मिल जाए, जहाँ इन सभी जब्त वाहनों को व्यवस्थित तरीके से रखा जा सके। इससे दो फायदे होंगे एक तो शहर के थानों की सूरत सुधर जाएगी, और दूसरा, सड़कों पर अतिक्रमण कम होगा।

क्या प्रशासन सुनेगा गुहार?

बातचीत सकारात्मक हुई है और उम्मीद जताई जा रही है कि प्रशासन जल्द ही कोई सरकारी जमीन पटना पुलिस को मुहैया कराएगा। अगर ऐसा हो जाता है, तो यकीन मानिए पटना की सड़कों और पुलिस स्टेशनों का नज़ारा काफी बदल जाएगा।

एक आम नागरिक के तौर पर हम भी यही चाहेंगे कि पुलिस को यह जमीन जल्द मिले, ताकि थानों के बाहर का वह 'कबाड़ खाना' वाला लुक खत्म हो सके और पुलिसवाले बेहतर माहौल में अपना काम कर सकें।

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