Patient care : कैंसर से उबरने के बाद भी नहीं मिलेगा चैन ,कोविड 19 और फ्लू फिर से लौटा रहे यह बीमारी

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News India Live, Digital Desk:  Patient care : कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझकर उसे हराना किसी के लिए भी एक बड़ी जीत होती है, लेकिन हाल ही में हुए कुछ शोधों ने इस राहत पर एक नया सवाल खड़ा कर दिया है। वैज्ञानिक अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या COVID-19 और इन्फ्लूएंजा (फ्लू) जैसे सामान्य श्वसन संक्रमण, कैंसर से उबर चुके लोगों में इस बीमारी को फिर से सक्रिय कर सकते हैं या इसके मेटा स्टेसिस (शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने) के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह खबर कैंसर से बचे हुए लोगों और उनके परिवारों के लिए चिंता का विषय बन सकती है, क्योंकि यह बताता है कि जंग अभी खत्म नहीं हुई है।

नवीनतम शोध से पता चलता है कि कोविड-19 और फ्लू जैसे वायरल संक्रमण शरीर में "निष्क्रिय कैंसर कोशिकाओं" (Dormant Cancer Cells) को जगा सकते हैं। निष्क्रिय कैंसर कोशिकाएं वे होती हैं जो प्रारंभिक ट्यूमर के इलाज के बाद शरीर में कहीं और, अक्सर फेफड़ों में, छिपी रह सकती हैं और वर्षों तक निष्क्रिय अवस्था में रह सकती हैं। लेकिन इन श्वसन संक्रमणों के कारण होने वाली तीव्र सूजन और इम्यून प्रतिक्रिया इन कोशिकाओं को फिर से सक्रिय करके नए ट्यूमर या मेटास्टेटिक रोग (Metastatic disease) का कारण बन सकती है।

यह शोध विशेष रूप से स्तन कैंसर (Breast Cancer) के बचे हुए लोगों के लिए चिंताजनक है, जहाँ प्रारंभिक डेटा इंगित करता है कि SARS-CoV-2 (जो COVID-19 का कारण बनता है) से संक्रमित होने वाले स्तन कैंसर से बचे हुए रोगियों में मेटास्टेटिक रोग के आगे बढ़ने का लगभग 50% अधिक जोखिम देखा गया था।अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि COVID-19 से संक्रमित कैंसर रोगियों में कैंसर से मृत्यु का जोखिम लगभग दोगुना हो गया, खासकर संक्रमण के पहले वर्ष में। विशेषज्ञों का कहना है कि यह "निहित" कोशिकाओं के बड़े पैमाने पर फैलने से संबंधित हो सकता है।

अध्ययनों में बताया गया है कि संक्रमण की प्रतिक्रिया में प्रतिरक्षा कोशिकाएं जो इंटरल्यूकिन-6 (IL-6) नामक प्रोटीन जारी करती हैं, वे निष्क्रिय कैंसर कोशिकाओं के जागृत होने का कारण बनती हैं।यह प्रक्रिया शरीर में पुरानी सूजन (Chronic Inflammation) पैदा करती है, जिसे ट्यूमर के बढ़ने और मेटास्टेसिस से जोड़ा गया है।

हालांकि कुछ शुरुआती शोध में यह भी सुझाव दिया गया है कि COVID-19 के कुछ मामलों में कैंसर में कमी देखी गई है,[9]कैंसर के पुनरुत्थान और प्रगति का समग्र जोखिम एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। कैंसर के मरीज, विशेष रूप से जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उन्हें मौसमी इन्फ्लूएंजा और COVID-19 दोनों के लिए उच्च जोखिम वाले समूह में शामिल किया जाना चाहिए और उनके लिए टीकाकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। वैज्ञानिकों का लक्ष्य है कि इन अंतर्निहित तंत्रों को समझकर, ऐसे हस्तक्षेप विकसित किए जाएं जो श्वसन वायरल संक्रमण का अनुभव करने वाले कैंसर बचे हुए लोगों में मेटास्टेटिक प्रगति के जोखिम को सीमित कर सकें। कैंसर से बचे हुए लोगों को किसी भी चिंता के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से बात करनी चाहिए और श्वसन वायरस के खिलाफ सावधानी बरतनी चाहिए, जिसमें टीकाकरण भी शामिल है।

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