Parthasarathy Temple : यहाँ मूंछों वाले रूप में पूजे जाते हैं भगवान कृष्ण, जानें चेन्नई के अद्भुत पार्थसारथी मंदिर का रहस्य
- by Archana
- 2025-08-14 10:48:00
Newsindia live,Digital Desk: Parthasarathy Temple : भारत में भगवान कृष्ण के अनगिनत मंदिर हैं, जहाँ उनके बाल रूप से लेकर विराट रूप तक की पूजा होती है, लेकिन तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के ट्रिप्लिकेन इलाके में स्थित पार्थसारथी मंदिर अपने आप में अद्वितीय है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान कृष्ण की मूर्ति मूंछों वाले स्वरूप में है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व बहुत गहरा है और यह वैष्णव परंपरा के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक माना जाता है।
क्यों हैं भगवान कृष्ण की मूंछें?
इस मंदिर में भगवान कृष्ण को 'पार्थसारथी' के रूप में पूजा जाता है, जिसका अर्थ है 'पार्थ (अर्जुन) के सारथी'। यह स्वरूप महाभारत के उस प्रसंग को दर्शाता है जब भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन का रथ हाँका था। युद्ध के मैदान में एक सारथी और मार्गदर्शक की भूमिका में होने के कारण उनका यह स्वरूप मर्दाना और राजसी है, इसीलिए यहाँ उनकी मूर्ति को मूंछों के साथ दर्शाया गया है। इसके अलावा, मूर्ति के चेहरे पर युद्ध के दौरान लगे घावों के निशान भी देखे जा सकते हैं, जो इस स्वरूप की ऐतिहासिकता को और भी प्रामाणिक बनाते हैं।
मंदिर का इतिहास और महत्व
यह एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण आठवीं शताब्दी में पल्लव राजाओं द्वारा करवाया गया था। यह देश के 108 दिव्यदेसम (विष्णु को समर्पित पवित्र मंदिर) में से एक है। इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि यहाँ भगवान कृष्ण अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। गर्भगृह में रुक्मिणी, बड़े भाई बलराम, पुत्र प्रद्युम्न, पोते अनिरुद्ध और सात्यकि की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि यह एकमात्र मंदिर है जहाँ भगवान की तीन पीढ़ियों को एक साथ पूजा जाता है।
मंदिर की मान्यता इतनी अधिक है कि दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। जन्माष्टमी और वैकुंठ एकादशी जैसे त्योहारों पर यहाँ की रौनक देखते ही बनती है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि वास्तुकला और इतिहास का एक जीवंत संग्रहालय भी है, जो भगवान कृष्ण के एक अलग और शक्तिशाली रूप को दर्शाता है।
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