Parenting Tips : जिद्दी से जिद्दी बच्चा भी बन जाएगा समझदार, बस माता-पिता को छोड़नी होंगी अपनी ये 3 आदतें
News India Live, Digital Desk : माता-पिता बनना दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास है, लेकिन यह किसी 'फुल टाइम जॉब' से कम भी नहीं है। और यह जॉब तब और मुश्किल हो जाती है जब हमारा प्यारा सा बच्चा बात-बात पर जिद्द करने लगता है।
बाजार में खिलौने के लिए लेट जाना, खाना न खाने की जिद्द करना या मोबाइल के लिए रोना अगर आप भी इन हरकतों से थक चुके हैं, तो आप अकेले नहीं हैं।
अक्सर हमें लगता है कि डांटकर या डराकर हम बच्चे को सुधार लेंगे, लेकिन सच मानिए, इससे बच्चा और ज्यादा जिद्दी (Rebellious) हो जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसे व्यावहारिक तरीके (Tips) बता रहे हैं जो बिना शोर-शराबे के आपके बच्चे के व्यवहार में बदलाव लाएंगे।
1. "तुम चुप रहो" नहीं, "कहो क्या कहना है" (Be a Listener)
जब बच्चा जिद्द कर रहा हो, तो वह असल में अपना गुस्सा या फ्रस्ट्रेशन निकाल रहा होता है। ऐसे में अगर आप भी उन पर चिल्लाएंगे, तो आग में घी डलेगा।
इसके बजाय, घुटनों के बल बैठें (ताकि आप उनकी ऊंचाई पर हों) और शांति से पूछें—"बेटा, आप परेशान क्यों हो?" जब बच्चे को लगता है कि उसकी बात 'सुनी' जा रही है, तो उसका आधा गुस्सा अपने आप शांत हो जाता है।
2. आदेश मत दें, 'ऑप्शन' दें (Give Choices)
बच्चों को यह पसंद नहीं आता कि उन्हें हर वक़्त आर्डर दिया जाए—"दूध पियो!", "सो जाओ!"। उन्हें लगता है कि उनकी आज़ादी छीनी जा रही है।
अगली बार आर्डर देने के बजाय उनसे पूछें— "बेटा, आप दूध चॉकलेट वाले कप में पियोगे या कार्टून वाले मग में?"
इससे उन्हें लगता है कि फैसला उनका है, और वे ख़ुशी-ख़ुशी बात मान लेते हैं। इसे स्मार्ट पेरेंटिंग कहते हैं!
3. हर बात पर "ना" कहना बंद करें
अगर आप बच्चे को दिन भर में 10 बार "ये मत करो", "वो मत छुओ" कहेंगे, तो 'ना' शब्द की वैल्यू खत्म हो जाएगी।
अपनी लड़ाइयां चुनें। अगर बच्चा कुछ ऐसा मांग रहा है जिससे कोई नुकसान नहीं है, तो मान लें। 'ना' सिर्फ तब कहें जब कोई चीज खतरनाक हो या बहुत जरूरी हो। और जब एक बार 'ना' कह दें, तो उस पर कायम रहें, पिघलें नहीं।
4. रूटीन बनाना है जरूरी
अक्सर बच्चे चिड़चिड़े तब होते हैं जब उनकी नींद पूरी नहीं होती या भूख लगी होती है। बच्चों के लिए एक टाइम-टेबल होना बहुत जरूरी है। जब उन्हें पता होता है कि अब पढ़ने का समय है और अब खेलने का, तो बहस की गुंजाइश कम हो जाती है।
5. तारीफ़ में कंजूसी न करें
हम बच्चे की गलती पर तो तुरंत टोक देते हैं, लेकिन जब वो कुछ अच्छा करता है तो हम चुप रहते हैं।
अगर आज आपके बच्चे ने बिना जिद्द किये खाना खा लिया या अपना खिलौना शेयर किया, तो उसे गले लगाकर कहें—"अरे वाह! आज तो आपने बहुत अच्छा काम किया।" आपकी यह तारीफ उसे दोबारा अच्छा बर्ताव करने के लिए प्रेरित करेगी।
अंतिम बात:
बच्चों को सुधारने से पहले हमें खुद को शांत रखना सीखना होगा। याद रखिये, बच्चा वही सीखता है जो वह अपने माता-पिता को करते हुए देखता है। थोड़ा सब्र रखें, प्यार दिखाएं, बदलाव जरूर आएगा!
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