भारत और तालिबान की दोस्ती से पाकिस्तान को लगी मिर्ची, कश्मीर का नाम सुनते ही UN में रोया रोना!

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भारत और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के बीच बढ़ती दोस्ती और सहयोग पाकिस्तान को रास नहीं आ रहा है। हाल ही में दोनों देशों के एक संयुक्त बयान में जैसे ही जम्मू-कश्मीर का जिक्र हुआ, पाकिस्तान में हड़कंप मच गया और उसने तुरंत इस पर अपनी आपत्ति जताते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों का "खुला उल्लंघन" बता डाला।

यह पूरा मामला अफगान विदेश मंत्री के हालिया भारत दौरे के बाद सामने आया, जो दिखाता है कि तालिबान अब पाकिस्तान के साये से बाहर निकलकर सीधे भारत से अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है।

किस बात पर भड़का पाकिस्तान?

दरअसल, भारत और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के बीच हुई बातचीत के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। इस बयान में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद से लड़ने और आपसी सहयोग बढ़ाने की बात की गई थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता का भी जिक्र था।

बस इसी बात पर पाकिस्तान आगबबूला हो गया।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "जम्मू और कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त 'विवादित क्षेत्र' है। भारत और किसी भी तीसरे पक्ष के बीच इस क्षेत्र को लेकर किसी भी तरह की बातचीत या बयान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों का खुला उल्लंघन है।"

आसान शब्दों में, पाकिस्तान का कहना है कि भारत और अफगानिस्तान मिलकर कश्मीर पर ऐसे बात नहीं कर सकते, जैसे वह सिर्फ भारत का हिस्सा हो।

क्यों है यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका?

पाकिस्तान की यह बौखलाहट सिर्फ कश्मीर को लेकर नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे कूटनीतिक कारण हैं:

  1. तालिबान का भारत के करीब आना: पाकिस्तान हमेशा से तालिबान को अपना 'करीबी' मानता रहा है और दुनिया से बातचीत के लिए खुद को एक 'गेटवे' के तौर पर पेश करता था। लेकिन अब तालिबान सरकार सीधे भारत से रिश्ते बना रही है, जो पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग कर रहा है।
  2. अफगान विदेश मंत्री का देवबंद दौरा: यह भी गौर करने वाली बात है कि अफगान विदेश मंत्री ने अपने भारत दौरे पर दिल्ली की बजाय सीधे दारुल उलूम देवबंद जाने को प्राथमिकता दी। यह भारत के साथ गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ते बनाने का एक स्पष्ट संकेत था, जिसने पाकिस्तान को और परेशान कर दिया।

कुल मिलाकर, भारत और अफगानिस्तान के संयुक्त बयान पर पाकिस्तान की यह तीखी प्रतिक्रिया दिखाती है कि उसे भारत और तालिबान की बढ़ती दोस्ती से कितनी बेचैनी हो रही है, और कश्मीर का मुद्दा उसके लिए अपनी पुरानी खीझ निकालने का एक बहाना मात्र है।

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