Pakistan embarrassed on international platform: यूएन मानवाधिकार परिषद में उठा अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा

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News India Live, Digital Desk: Pakistan embarrassed on international platform:   पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी उत्पीड़न और भेदभाव को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने एक बार फिर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार समूहों और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान सरकार की इस मुद्दे पर कड़ी निंदा की है और इस बात पर जोर दिया है कि अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और समान अधिकार प्रदान किए जाएं। यह मुद्दा स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में चल रही 56वीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यूएनएचआरसी की बैठक में उठाया गया, जहां भारत और अन्य देशों ने पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठाए।

मानवाधिकार समूह ने विशेष रूप से अहमदिया, ईसाई और हिंदू समुदायों के खिलाफ हो रहे हमलों, अपहरणों और जबरन धर्मांतरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। यूएनएचआरसी के सत्र में विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को अक्सर ईशनिंदा कानूनों Blasphemy Laws का दुरुपयोग करके निशाना बनाया जाता है, जिससे उनकी जान भी जा सकती है या उन्हें कठोर दंड भुगतना पड़ सकता है। अहमदिया समुदाय को पाकिस्तान के संविधान द्वारा "गैर-मुस्लिम" घोषित किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कई सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों से वंचित किया जाता है और वे अक्सर हमलों का निशाना बनते हैं। ईसाई और हिंदू लड़कियों के अपहरण, जबरन विवाह और धर्मांतरण की घटनाएं भी लगातार सुर्खियों में रही हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण और बच्चों की तस्करी की समस्या गंभीर है, जिससे महिलाओं और लड़कियों को अत्यधिक खतरा है। यूएन में कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और भारत जैसे देशों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार लाने की तत्काल आवश्यकता है। पाकिस्तान को अपनी संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए और अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र की यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने के प्रयासों का एक हिस्सा है ताकि वह अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार लाए। इसमें देश को जवाबदेह ठहराना, पीड़ितों को न्याय प्रदान करना, और एक ऐसा वातावरण बनाना शामिल है जहां सभी धार्मिक समूह बिना किसी डर या भेदभाव के अपनी आस्था का पालन कर सकें। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान सरकार इन अंतरराष्ट्रीय दबावों पर कैसे प्रतिक्रिया करती है।

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