Pak-Afghan Tension : यह कायरता है बर्बरता है- अपने क्रिकेटरों की मौत पर फूटा राशिद खान और नबी का गुस्सा
News India Live, Digital Desk: Pak-Afghan Tension : जब बात देश की आती है तो खेल और खिलाड़ी पीछे छूट जाते हैं, और सीने में धधकती देशभक्ति की आग सामने आ जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ अफगानिस्तान के सबसे बड़े क्रिकेट सितारों - राशिद खान और मोहम्मद नबी के साथ. पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में किए गए हवाई हमले में तीन अफगान क्रिकेटरों सहित कई निर्दोष नागरिकों की मौत ने इन खिलाड़ियों को इतना झकझोर दिया कि वे खुद को रोक नहीं पाए.
मैदान पर हमेशा शांत और मुस्कुराते दिखने वाले राशिद खान और मोहम्मद नबी ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के खिलाफ ऐसा गुस्सा जाहिर किया है, जो शायद ही पहले कभी किसी ने देखा हो.
क्या कहा राशिद खान ने?
अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान और दुनिया के सबसे खतरनाक स्पिनरों में से एक, राशिद खान ने इस हमले को "बर्बर" और "अनैतिक" बताया. उन्होंने कहा कि मासूम लोगों, महिलाओं, बच्चों और उन खिलाड़ियों को निशाना बनाना जिनकी कोई गलती नहीं थी, एक ऐसा घिनौना काम है जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता.
राशिद ने कहा कि खेल का मकसद लोगों और देशों को जोड़ना होता है, उन्हें तोड़ना नहीं. लेकिन इस घटना ने दोनों देशों के बीच नफरत की एक और दीवार खड़ी कर दी है. उन्होंने अपने देश के क्रिकेट बोर्ड द्वारा पाकिस्तान में होने वाली ट्राई-सीरीज का बहिष्कार करने के फैसले का भी पुरजोर समर्थन किया.
नबी ने की कड़ी निंदा
अफगानिस्तान के पूर्व कप्तान और सीनियर ऑल-राउंडर, मोहम्मद नबी ने भी इस हमले को "कायरतापूर्ण" करार दिया. उन्होंने लिखा कि निर्दोष लोगों की जान लेना, खासकर उन युवा क्रिकेटरों की जो अपने देश के लिए खेलने का सपना देख रहे थे, किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने इस मुश्किल घड़ी में पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना भी व्यक्त की.
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के उरगुन जिले में एक हवाई हमला किया था. इस हमले की चपेट में वो तीन घरेलू क्रिकेटर - कबीर आगा, सिबगतुल्लाह और हारून - भी आ गए जो हाल ही में एक लोकल मैच खेलकर घर लौटे थे. इस हमले में उनकी दर्दनाक मौत हो गई.
अपने खिलाड़ियों की मौत से आहत होकर, अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने नवंबर में पाकिस्तान में होने वाली त्रिकोणीय टी-20 सीरीज (जिसमें श्रीलंका भी शामिल है) से अपना नाम वापस ले लिया है. यह घटना दिखाती है कि कैसे राजनीतिक तनाव खेल के मैदान तक पहुँच गया है, जहाँ अब गेंद और बल्ले की जगह बम और नफरत ने ले ली है.
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