Padmanabha Swamy Temple : जहां भगवान विष्णु के गर्भ में छुपा है सृष्टि का सबसे बड़ा रहस्य
News India Live, Digital Desk: Padmanabha Swamy Temple : केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर, सिर्फ़ एक पूजनीय जगह नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और अनसुलझे रहस्यों का एक ऐसा संगम है, जहाँ सदियों से भक्तों का तांता लगा रहता है। इस भव्य मंदिर में भगवान विष्णु अपने एक बेहद अनोखे और रहस्यमय रूप में विराजते हैं, जिसे 'पद्मनाभ' स्वरूप कहा जाता है। आइए, जानते हैं क्या है इस स्वरूप का गहरा अर्थ और क्या है मंदिर से जुड़ी दिलचस्प कहानी।
भगवान विष्णु का अद्भुत पद्मनाभ स्वरूप
मंदिर में भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा 'अनंत शयनम' की मुद्रा में विराजमान है। इसका मतलब है कि भगवान एक विशाल पाँच फन वाले आदिशेष नाग पर लेटे हुए योगनिद्रा में लीन हैं। उन्हें 'पद्मनाभ' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उनकी नाभि (नाभ) से एक कमल (पद्म) निकला हुआ है, और इसी कमल पर सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा विराजमान हैं।
यह स्वरूप सिर्फ़ एक मूर्ति नहीं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड के संचालन और उसकी रचना का प्रतीक है। भगवान विष्णु शांति से सो रहे हैं, पर उन्हीं की शक्ति से ब्रह्मा नए लोक की रचना कर रहे हैं। यह हमें बताता है कि कैसे सृष्टि बनती है, चलती है और फिर विलीन होती है, और यह सब भगवान की माया में ही होता है। उनका यह शांत और स्थिर रूप बताता है कि चाहे कितनी भी बड़ी शक्तियाँ आसपास क्यों न हों, सर्वोच्च शक्ति हमेशा शांत और संतुलित रहती है।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर की पौराणिक कथा
इस मंदिर की स्थापना को लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से एक कथा महर्षि दिवाकर मुनि से जुड़ी है। माना जाता है कि बहुत पुराने समय में, एक महान ऋषि थे जिनका नाम दिवाकर मुनि था। वह भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे और लगातार उनका जाप किया करते थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान विष्णु ने एक छोटे से शरारती बच्चे के रूप में उन्हें दर्शन दिए। मुनि बालक की सुंदरता और चंचलता पर मोहित हो गए।
लेकिन बालक बहुत शैतान था। उसने मुनि की तपस्या में बाधा डालनी शुरू कर दी, उनकी शालीग्राम (पूजा करने वाला पत्थर) को अपने मुँह में डाल लिया। यह देखकर मुनि को क्रोध आया और उन्होंने बालक को धक्का दे दिया। धक्का लगने पर बालक अपने असली रूप में आ गया। वह छोटे बच्चे से बदलकर एक विशाल भगवान विष्णु बन गया, जो आदिशेष नाग पर अनंत शयनम की मुद्रा में लेटे थे।
यह देख दिवाकर मुनि बहुत दुखी हुए और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। भगवान ने मुनि से कहा कि अब वे इस स्थान पर इसी स्वरूप में निवास करेंगे। भगवान ने मुनि को निर्देश दिया कि उनकी पूरी विशाल प्रतिमा एक ही जगह पर नहीं देखी जा सकती, बल्कि उसे तीन दरवाज़ों से अलग-अलग देखना होगा – पहले दरवाज़े से मुख और सिर, दूसरे दरवाज़े से नाभि और तीसरे दरवाज़े से पैर। इस तरह, भगवान विष्णु यहीं स्थापित हो गए और यहीं पर यह भव्य पद्मनाभ स्वामी मंदिर बनाया गया।
समय के साथ, 18वीं सदी में त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने इस मंदिर का विशाल निर्माण करवाया, जिसे हम आज देखते हैं।
मंदिर के रहस्यमय तहखाने (Vault B)
यह मंदिर अपने अंदर छुपे 7 गुप्त तहखानों (वॉल्ट्स) के लिए भी पूरी दुनिया में जाना जाता है। 2011 में जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इनमें से 6 तहखाने खोले गए, तो उसमें दुनिया का सबसे अतुल्य खज़ाना मिला - सोने की मूर्तियां, हीरे-जवाहरात और प्राचीन सिक्के, जिनकी कीमत कई लाख करोड़ रुपये आँकी गई थी।
लेकिन सातवाँ और सबसे रहस्यमय तहखाना, जिसे 'वॉल्ट बी' कहते हैं, आज तक नहीं खोला गया है। इसके दरवाज़े पर दो बड़े नागों की आकृतियाँ बनी हैं। कहा जाता है कि इस दरवाज़े को किसी बल या तकनीक से नहीं खोला जा सकता। मान्यताओं के अनुसार, इसे केवल कोई सिद्ध योगी ही प्राचीन 'गरुड़ मंत्रों' का सही जाप करके खोल सकता है, और यदि इसे जबरदस्ती खोलने की कोशिश की गई, तो बहुत बड़ा अशुभ या प्रलय भी आ सकती है। आज भी यह दरवाज़ा और इसके पीछे का रहस्य लोगों के लिए कौतूहल और डर का विषय बना हुआ है।
यह मंदिर सिर्फ़ भक्ति का नहीं, बल्कि सनातन धर्म के गूढ़ रहस्यों, परंपराओं और भव्य कला का एक जीती-जागती मिसाल है।
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